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प्रजातियां एवं जनजातीय (Races and Tribes)

 सामान्य परिचय (General Introduction)
सामान्यत: 'प्रजाति' का अर्थ एक ऐसे विशेष मानव वर्ग से है,
जिसमें वर्ग विशेष के सभी मनुष्यों की शारीरिक रचना तथा बाह्य
लक्षण जैसे-
की प्रकृति, आँखों की बनावट, होंठों की मोटाई तथा रक्त वर्ग आदि
एक जैसे हों।
जनजातीय लोग विभिन्न धार्मिक, भाषायी, नृजातीय समूहों से संबंध
रखते हैं। इनकी जीवन शैली एवं व्यवसाय का प्रकृति से सीधा एवं
घनिष्ठ संबंध होता है। सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से ये पिछड़े
हुए होते हैं।
सरल शब्दों में कहा जाए तो, जनजाति वह सामाजिक समुदाय है
जो राज्य के विकास के पूर्व अस्तित्व में था या जो अब भी राज्य
|- त्वचा का रंग, कद, सिर एवं नाक की बनावट, बालों
की मुख्यधारा से अलग-थलग है। 'जनजाति' वास्तव में भारत के
आदिवासियों के लिये इस्तेमाल होने वाला एक वैधानिक पद है ।
भारत की प्रजातियाँ (Races of India)
भूगोलवेत्ताओं का मानना है कि भारत में आने वाली सबसे पहली
प्रजाति नीग्रो (नीग्रिटो) है इसके बाद क्रमशः प्रोटो- ऑस्ट्रेलॉयड एवं
भूमध्यसागरीय प्रजातियों का आगमन हुआ तथा सबसे अंत में नार्डिक
प्रजाति का आगमन हुआ।
* प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉयड एवं भूमध्यसागरीय प्रजातियों ने मिलकर हडप्पा
सभ्यता की शुरुआत की। प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर हड़प्पा काल
में सामान्यत: 4 प्रकार की प्रजातियों का अस्तित्व था।
* प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉयड
भूमध्यसागरीय
अल्पाइन
* मंगोलॉयड
डॉ. बी.एस. गुहा ने भारतीय उपमहाद्वीप की मानव जनसंख्या को 6
मुख्य प्रजातियों में विभक्त किया है-
नीग्रिटो/नीग्रो (Negrito/ Negro)
-ऑस्ट्रेलॉयड (Proto- Australoid)
आद्य
* मंगोलॉयड (Mongoloid)
* भूमध्यसागरीय (Mediterranean)
चौड़े सिर वाले पाश्चात्य/लघुशीर्ष (Western Brachycephals)
नार्डिक (Nardic)



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