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जलमंडल किसे कहते है ओर उसके प्रकार कौन कौन से है? | What is Hydrosphere and his types?

 

जलमंडल(Hydrosphere)



  • जल पृथ्वी पर पाया जाने वाला एक तरल पदार्थ है. जल बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. जल पृथ्वी पर कई अलग-अलग रूपों में मिलता है.
  • पूरी पृथ्वी के लगभग 71 फीसदी पर जलमंडल का विस्तार है.
  • उत्तरी गोलार्द्ध का 60 फीसदी और दक्षिणी गोलार्द्ध का 80 फीसदी भाग महासागरों से ढका हैं.
  • जल राशि का मात्र 2.5 फीसदी भाग ही स्वच्छ जल या मीठा जल है.
  • महासागरीय जल के दो महत्वपूर्ण गुण हैं- तापमान और लवणता.
  • जलमंडल का वह बड़ा भाग जिसकी कोई निश्चित सीमा ना हो, महासागर कहलाता है.
  • सबसे बड़ा महासागर प्रशांत महासागर है.
  • महासागरों की औसत गहराई 3800 मीटर है जबकि स्थल की औसत ऊंचाई 840 मीटर होती है.
  • स्थल की ऊंचाई और महासागरों की गहराई को उच्चतामितीय वक्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है.
  • जलमंडल का वह बड़ा भाग, जो तीन तरफ जल से घिरा हो और एक तरफ महासागर से मिला हो, समुद्र कहलाता है.
  • समुद्र का स्थलीय भाग में प्रवेश कर जाने पर जो जल का क्षेत्र बनता है, उसे खाड़ी कहते हैं.
  • Bay के दो किनारे स्थल से घिरे होते हैं. एक तरफ टापुओं का समुह होता है और दूसरी तरफ का मुहाना समुद्र से मिला होता है.
  • आकार मे अन्तर के कारण अटलांटिक महासागर में वार्षिक तापांतर प्रशांत महासागर की अपेक्षा अधिक होता है.
  • उत्तरी गोलार्द्ध में दक्षिण गोलार्द्ध की तुलना में तापान्तर अधिक होता है.
  • लवणता को प्रति हजार में व्यक्त करते हैं.
  • समुद्री जल की औसत लवणता लगभग 35 प्रति हजार होती हैं.
  • समान खारेपन वाले स्थानों को मिलाकर खींची गयी रेखा को समलवण रेखा कहते हैं.
  • तुर्की की वान झील की लवणता सबसे अधिक (330%) है.
  • प्रशांत महासागर में गुआम द्वीप के पास स्थित मेरियाना गर्त सबसे गहरा गर्त है.
  • इसकी गहराई लगभग 11 किमी है. इसे चैलेंजर गर्त भी कहते हैं.
  • जलमग्न उत्थान का वह भाग जहां जल की गहराई छिछली होती है उसे शोल कहते हैं.
  • महासागर

    पृथ्वी पर पांच प्रकार के महासागर हैं।

  • 1. प्रशांत महासागर ( Pacific Ocean )
  • 2. अटलांटिक महासागर ( Atlantic Ocean )
  • 3. हिन्द महासागर ( Indian Ocean )
  • 4. दक्षिणा ध्रुवीय महासागर ( Antarctic Ocean )
  • 5. उत्तर ध्रुवीय महासागर ( Arctic Ocean )
  • 1. प्रशांत महासागर ( Pacific Ocean )

  • प्रशांत महासागर का नाम प्रशांत इसलिए पड़ा कि यह महासागर अटलांटिक महासागर की तुलना में काफी शांत दिखने वाला (प्रशांत-शांत रहने वाला) है। इसका यह नाम पुर्तगाली अन्वेषक मैगलन ने रखा था। मैगलन एक ऐसा साहसिक अन्वेषक था जिसने पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले पहले अभियान दल का नेतृत्व किया था। मैगलन जब तूफानी अटलांटिक महासागर को पार कर प्रशांत महासागर में आया तो इस महासागर का जल उसे अटलांटिक की तुलना में काफी शांत दिखा, अतः इसका नाम प्रशांत महासागर पड़ा।
  • धरती के 30% भाग पर अधिकार जताए प्रशांत महासागर की आकृति त्रिभुजाकार है। इसका क्षेत्रफल 16,18,00,000 वर्ग की.मी., अर्थात अटलांटिक महासागर के दुगुने से थोड़ा कम है।
  • प्रशांत महासागर की औसत गहराई लगभग 4000 मीटर है तथा अधिकतम गहराई लगभग 11000 मीटर है। सभी महासागरों का 50.1% जल समाहित किये इस महासागर में अंध महासागर से दोगुना पानी है। जिसकी मात्र 70,75,00,000 क्यूबिक किलोमीटर पानी है।
  • 2. अटलांटिक महासागर ( Atlantic Ocean )

  • इस महासागर का नाम ग्रीक संस्कृति के शब्द से पड़ा जिसका अर्थ ‘ नक़्शे का समुद्र’ समुद्र था। एक और मान्यता के अनुसार इसका अंग्रेजी नाम ‘ अटलांटिक ‘ यूनानी देवता ‘एटलस’ के नाम पर रखा गया है।
  • इसका महासागर का क्षेत्रफल 10,64,00,000 वर्ग की.मी. है। इसका आकार 8 की आकृति में है। यह यूरोप तथा अफ्रीका महाद्वीपों को दुनिया के बाकी महाद्वीपों से अलग करता है। विशालतम सागर न होते हुए भी इसके अधीन विश्व का सबसे बड़ा जलप्रवाह क्षेत्र है। यह महासागर यूरोप तथा अफ्रीका महाद्वीपों को नई दुनिया के महाद्वीपों से अलग करती है।
  • अंध महासागर की औसत गहराई अगर इसके साथ लगने वाले समुद्रों को लेकर देखा जाए तो 3,339 मीटर है और यदि इन समुद्रों को अलग कर देखा जाए तो यह गहराई औसतन 3,926 मीटर है। अगर बात की जाए सबसे ज्यादा गहराई की तो इस महासागर की सबसे ज्यादा गहराई 8,605 मीटर है। अंध महासागर में 32,30,00,000 क्यूबिक किलोमीटर पानी है।
  • 3. हिन्द महासागर ( Indian Ocean )

  • हिन्द महासागर को युवा महासागर भी कहा जाता है। क्योंकि इसका जन्म 73.6 करोड़ वर्च पहले ही हुआ है। यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा महासागर है।
  • विश्व में यह एकमात्र महासागर है इसका नाम किसी देश के नाम पर रखा गया है। वह देश है हिंदुस्तान। संस्कृत की पुस्तकों में इसे ‘रत्नाकर’ कहकर बुलाया गया है। जिसका अर्थ है रत्न उत्पन्न करने वाला। हिन्दू ग्रंथों में इसे हिन्दू महासागर का नाम दिया गया है।
  • धरती के कुल क्षेत्रफल का 7% हिस्सा हिन्द महासागर ने घेर रखा है। इसके अनुसार इसका क्षेत्रफल 7,35,56,000 वर्ग किलोमीटर है। इस महासागर की औसत गहराई 3,890 मीटर है। सबसे अधिकतम गहराई की बात करें तो वो है 8,047 मीटर है।
  • 4. दक्षिण ध्रुवीय महासागर ( Antarctic Ocean )

  • यह महासागर चौथा सबसे बड़ा महासागर है। संसार के ताजे पानी का 70% हिस्सा इस महासागर में बर्फ के रूप में जमा हुआ है। और यह बर्फ दुनिया की साडी बर्फ की 90% है।
  • इस महासागर के दक्षिण ध्रुव में स्थित होने के कारण इसका नाम दक्षिण ध्रुवीय महासागर पड़ा है। यह महासागर सबसे ठंडा महासागर है
  • इस महासगार का क्षेत्रफल 1,40,00,000 वर्ग किलोमीटर है। अंटार्कटिका का 98% भाग औसतन 1.9 किलोमीटर मोटी बर्फ़ से ढंका हुआ है। इसे बर्फ का रेगिस्तान कहा जा सकता है और स्थायी तौर पर कोई नहीं रहता।
  • बर्फ के पानी के रूप में होने कारण यहाँ की गहराई का अनुमान लगाना मुश्किल सा है इसलिए यहाँ पर इसकी ऊँचाई से काम चलाना पड़ता है जोकि सबसे ऊँचा शिखर 4,776 मीटर है। औसतन पहले ही बताया जा चुका है की 1.9 की.मी. मोटी बर्फ की परत है। इस महासागर में 2,65,00,000 क्यूबिक किलोमीटर पानी बर्फ के रूप में मौजूद है।
  • 5. उत्तर ध्रुवीय महासागर ( Arctic Ocean )

  • उत्तर ध्रुवीय महासागर सबसे छोटा व सबसे उथला महासागर है। अंतर्राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण संगठन वाले इसको एक महासागर तजवीज करता है जबकि कुछ महासागर विज्ञानी इसे आर्कटिक सागर कहते हैं और इसे अंध महासागर के भूमध्य सागरों में से एक मानते हैं। यह महासागर साल भर समुद्री बर्फ से ढाका रहता है। इस महासागर में सब से कम लवणता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसकी बर्रफ पिघलती रहती है और मीठे पानी की नदियाँ इसमें आकर गिरती रहती हैं।
  • उत्तर ध्रुव में स्थित होने के कारण इस महासागर का नाम उत्तर ध्रुवीय महासागर पड़ा है।
  • इस महासागर का क्षेत्रफल 1,40,60,000 वर्ग किलोमीटर है। जो की लगभग दक्षिण ध्रुवीय महासागर के बराबर है।
  • इस महासागर की अधिकतम गहराई 5450 मीटर है। वहीं इसकी औसतन गहराई 1038 मीटर है। उत्तरीय ध्रुव महासागर में 1,80,70,000 क्यूबिक किलोमीटर पानी है।

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     सामान्य परिचय (General Introduction) कम समय एवं बिना चेतावनी के घटित होने वाली अनापेक्षित प्राकृतिक या मानव जनित घटना या परिवर्तन जिससे संबंधित क्षेत्र के मनुष्य, पशु-पक्षी, प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण दुष्प्रभावित हों, आपदा कहा जा सकता है। इन दुष्प्रभावों में मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों की मौत, पेड़ - पौधों का विनाश, मानव निर्मित वातावरण, जैसे- इमारतें , सड़कें, पुल आदि की क्षति कम या ज़्यादा मात्रा में हो सकती है। सामान्यतया आपदाएँ प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न होती हैं लेकिन मानव द्वारा प्रकृति में अवाछित हस्तक्षेप से अप्रत्यक्ष रूप से कुछ आपदाओं की तीव्रता एवं बारंबारता में वृद्धि देखी जा सकती है। कुछ आपदाएँ तो पूरी तरह मानव जनित होती हैं। प्राकृतिक आपदाओं को भी उनकी उत्पत्ति के प्रमुख कारकों के आधार पर निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जाता है- भौमिक आपदाएँ-भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन इत्यादि जलीय आपदाएँ-बाढ़, सुनामी इत्यादि मौसम संबंधी आपदाएँ-सूखा, चक्रवात, बादल का फटना, हिम झंझावत, तड़ित झंझा (Thunderstorm), शीत लहर, पाला, लू इत्यादि नोट: द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की तीसरी र

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      वायुमंडल (Atmosphere)      पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के विस्तृत फैलाव को पृथ्‍वी का वायुमंडल (Earth atmosphere) कहते हैं. वायुमंडल की ऊपरी परत के अध्ययन को वायुविज्ञान (Aerology) और निचली परत के अध्ययन को ऋतु विज्ञान (Meterology) कहते हैं. आयतन के अनुसार वायुमंडल में 30 मील के अंदर विभिन्न गैसों का मिश्रण होता है जो इस प्रकार हैं- नाइट्रोजन 78.07 फीसदी, ऑक्सिजन 20.93 फीसदी, कॉर्बन डाईऑक्साइड .03 फीसदी और आर्गन .93 फीसदी. वायुमंडल में पाई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण गैस 1. नाइट्रोजन:   इस गैस की प्रतिशत मात्रा सभी गैसों से अधिक हैं. नाइट्रोजन की उपस्थिति के कारण ही वायुदाब, पवनों की शक्ति और प्रकाश के परावर्तन का आभास होता है. इस गैस का कोई रंग, गंध या स्वाद नहीं होता. नाइट्रोजन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह वस्तुओं को तेजी से जलने से बचाती है. अगर वायुमंडल में नाइट्रोजन ना होती तो आग पर नियंत्रण रखना कठिन हो जाता. नाइट्रोजन से पेड़-पौधों में प्रोटीनों का निर्माण होता है, जो भोजन का मुख्य का अंग है. यह गैस वायुमंडल में 128 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है. 2. ऑक्सिजन-:   यह अन्य

    स्थलमंडल किसे कहते है ? | What is a lithosphere?

      स्थलमंडल (Lithosphere)      स्थलमण्डल सम्पूर्णपृथ्वी के क्षेत्रफल का 29% है। पृथ्वी के अन्दर तीन मण्डल पाए जाते हैं। ऊपरी मण्डल को भूपर्पटी अथवा क्रस्ट कहा जाता है। इसकी मोटाई 30 से 100 किमी तक होती है। महाद्वीपों में इसकी मोटाई अधिक जबकि महासागरों में या तो क्रस्ट होती ही नहीं अगर होती है तो बहुत पतली होती है। क्रस्ट का ऊपरी भाग स्थलमण्डल का प्रतिनिधित्व करता है। जिन पदार्थों से क्रस्ट का निर्माण होता है वे जैव समुदाय के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। क्रस्ट का निर्माण मुख्यतः लोहा, ऑक्सीजन, सिलिकॉन, मैग्नीशियम, निकिल, गंधक, कैल्शियम तथा ऐलुमिनियम से होता है। क्रस्ट में एल्युमिनियम तथा सिलिका की मात्रा अधिक होती है। क्रस्ट के नीचे के दूसरे मण्डल को मैण्टिल कहा जाता है जिसकी निचली सीमा 2900 किमी से पृथ्वी के केन्द्र तक है। चट्टान पृथ्वी की सतह का निर्माण करने वाले पदार्थ चट्टानें या षैल कहलाते हैं। बनावट की प्रक्रिया के आधार पर चट्टानों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है। आग्नेय चट्टान ये चट्टानें भी चट्टानों में सबसे ज्यादा (95%) मिलती है। इनका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के समय निकलने

    विश्व के सर्वाधिक खनिज उत्पादक देश कौन कौन से है ? |Which are World's Most Mineral Producing Countries ?

      विश्व के सर्वाधिक खनिज उत्पादक देश (World's Most Mineral Producing Countries) खनिज उत्पादक देश लोहा चीन , आस्ट्रेलिया , ब्राजील तांबा चिली , पेरू , चीन मैंगनीज चीन , द. अफ्रीका , आस्ट्रेलिया बॉक्साइट ऑस्ट्रेलिया , ब्राजील , चीन सोना चीन , ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका जस्ता (जिंक) चीन , आस्ट्रेलिया , पेरू हीरा रूस , बोत्सवाना , कांगो निकिल रूस , इंडोनेशिया , आस्ट्रेलिया चांदी मैक्सिको , पेरू , चीन सीसा (लेड) चीन , ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका अभ्रक (माइका) चीन , अमेरिका , द. कोरिया ग्रेफाइट चीन , भारत , ब्रजील क्रोमाइट द. अफ्रीका , कजाखस्तान , भारत टंगस्टन चीन , रूस , बोलिविया कोबाल्ट कांगो , चीन