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भारत के प्रमुख उद्योग कौन कौन से हैं |(Major Industries of India)

 

भारत के प्रमुख उद्योग (Major Industries of India)


1. लोहा-इस्पात उद्योग–भारत में सबसे पहला लोहा-इस्पात उद्योग 1874 ई० में कुल्टी (प० बंगाल) में बराकर लौह कम्पनी की स्थापना की गई जो 1889 ई० में बंगाल लोहा एवं इस्पात कम्पनी के रूप में परिवर्तित हो गई। लेकिन आधुनिक ढंग का सबसे पहला कारखाना 1907 ई० में झारखंड के साकची स्थान पर जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित किया गया है ।
स्थान—जमशेदपुर, बोकारो (झारखंड), दुर्गापुर, बर्नपुर, कुल्टी,आसनसोल (पं० बंगाल), भद्रावती, विजयनगर (कर्नाटक), भिलाई (छत्ती राउरकेला (उड़ीसा), सलेम (तमिलनाडु), विशाखापत्तनम (आ० प्रदेश) ।

2. सूती वस्त्र उद्योगसूती वस्त्र उद्योग देश का सबसे पहला एवं मह उद्योग है । देश में पहला आधुनिक सूती वस्त्र उद्योग 1854 ई० में मुम्बई में के जी डावर द्वारा स्थापित किया गया था।
स्थान– मुम्बई, अकोला, शोलापुर, पुना, सतारा, वर्धा, कोल्हापुर, नाग अमरावती (महाराष्ट्र), अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा, भड़ौंच, राजकोट, पोरब भावनगर (गुजरात), इन्दौर, ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल, उज्जैन, रतलाम, सत देवास, निमार (म०प्र०), कानपुर, लखनऊ, आगरा, हथरस, सहारनपुर, मोदीनगर मुरादाबाद, वाराणसी, रामपुर (उ० प्र०), कलकत्ता (प० बंगाल), मद्रास, कोयम्बटर मदुरै, तिरुचिरापल्ली, तिनवेली (तमिलनाडु), बंगलौर (कर्नाटक), हैदराबाद (औ० प्र०), अजमेर (राज०), लुधियाना, अमृतसर (पंजाब), पानीपत (हरियाणा), और दिल्ली में प्रमुख केन्द्र हैं।

3. चीनी उद्योग महाराष्ट्र – भारत का सबसे प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य है।
स्थान-देवरिया, गोरखपुर, बाराबंकी, बस्ती, हरदोई, सीतापुर, सहारनपुर, । मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलन्दशहर, बिजनौर, गाजियाबाद, मटनी, पड़ौना, गोंडा, मंसूरपुर, मुरादाबाद, कानपुर, बरेली, फैजाबाद, जौनपुर (उत्तर प्रदेश), सारन, चम्पारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बिहटा, बक्सर, डालमियानगर, मोतिहारी, सुगौली, मझौलिया, नरकटियागंज, मढ़हौरा, पँचरूखी, सासामूसा, गोपालगंज, मोतीपुर, गोरौल, समस्तीपुर, शाहाबाद, हसनपुर (बिहार), पूणे, नासिक, मनमाड, अहमदनगर, शोलापुर, कोल्हापुर, मीराज (महाराष्ट्र), मुर्शिदाबाद, हावड़ा, बेल्डागाँ, नादिया। प्लासी, चौबीस परगना, बशीरघाट (प० बंगाल), कोयम्बटूर, अरकाट, मदुः। तिरुचिरापल्ली (तमिलनाडु), फगवाड़ा, अमृतसर, हमीरा, भोगपुर (पंजाब), पानीपत, जगाधरी, रोहतक (हरियाणा), मंडक, बैजवाड़ा, होसपेट, कोदे, पीथापुरम, सामलका सीतानगरम्, हैदराबाद, बोबीली, अनाकापल्ली (आन्ध्र प्रदेश), सिहोर, डबरा, जाबरा। पालन्दा, सारंगपुर, कोटरकोरा (मध्य प्रदेश), मड़या, बीजापुर, शीमेगा (कर्नाटक) केशोरायपाटन, श्रीगंगानगर, भूपाल नगर (राजस्थान), सूरत (गुजरात) आदि ।

4. जूट उद्योग-भारत के जूट उद्योग का विश्व में प्रथम स्थान है। भारत में जूट उद्योग का पहला कारखाना 1859 ई० में कलकत्ता के नजदीक रिसङ्ग लगाया गया था ।
स्थान-रिसङ्गा, कलकत्ता, हावड़ा, सियालदह, अगरपाड़ा, बाली, टा श्रीरामपुर, बजबज, शिवपुर, लिलुआ, बाटानगर, बेलूर, काकीनाड़ा, जगदल, हुगली, बर्द्धमान, दिनाजपुर, माल्दा, मछवेरिया (प० बंगाल), गुन्टूर, विशाखा (आ० प्र०), कानपुर, गोरखपुर सहजनवाँ (उ० प्र०), कटिहार, दरभंगा, (बिहार),कटक (उड़ीसा), रायगढ़,(छत्तीसगढ़), चितवलशाह (म० प्र०) ।

5. कागज उद्योग-भारत में आधुनिक ढंग का प्रथम सफल कागज उद्योग 1879 ई० में लखनऊ में लगा और अखबारी कागज का सबसे पहला कारखाना 1955 ई० में मध्य प्रदेश के नेपानगर में लगा ।।
स्थान-नटीटागढ़, त्रिवेणी, नैहाटी, रानीगंज, कलकत्ता, काकीनाडा, चन्द्रहाटी, मा (प० बंगाल), राजमुन्द्री, सिरपुर, कागजनगर, तिरुपति (आन्ध्र प्रदेश), बहारनपुर, मुजफ्फरनगर, लखनऊ, नैनी, पिपराइच, सिकन्दराबाद, गोरखपुर उदेश), डालमियानगर, बरौनी, समस्तीपुर, पटना, दरभंगा (बिहार), अमलाई, | भोपाल, होशंगाबाद, बिलासपुर, बालाघाट, मण्डीद्वीप (मध्य प्रदेश), नगर, चौहदार, बरम्बा (उड़ीसा), पल्लीपलायम, सेलम, चरण महादेवी, लनाडु), बल्लारपुर, मुम्बई, पुणे, कल्याण, खोपोली, चिचवाडा, भुसावल, चन्द्रपुर राष्ट्र), भद्रावती, दादेली, ननजान ग्राड, एथेनी, बेलागुला, बंगलौर, कृष्णराजनगर -क), पुन्नालूर, कोजीकोड (केरल), वापी, सूरत, बड़ोदरा (गुजरात), संगरुर, रवई (पंजाब), फरीदाबाद। जगाधारी, सोनीपत, बावला (हरियाणा), कोटा
(राजस्थान)

6. सीमेन्ट उद्योगभारत में आधुनिक ढंग का पहला सीमेन्ट उद्योग 1904 में मद्रास में खुला। देश में सीमेन्ट का उत्पादन बढ़ाने के लिए 1934 ई० में सोसिएटेड सीमेन्ट के० लि० (A. C. C) की स्थापना की गई। चूँकि सीमेन्ट कारखाना (उ० प्र०) एशिया का सबसे बड़ा कारखाना है ।
स्थान-सिन्दरी, डालमियानगर, खिलारी, बन जारी, जपला, चाईबासा, कल्याणपुर, झींकपानी (झारखंड), सतना, कटनी, जबलपुर, कैमूर, दुर्ग, बानमौर, (मध्य प्रदेश), मंधार, रायपुर (छत्तीसगढ़), चुर्क, चोपन, कानपुर, डाला (उत्तर प्रदेश) राजगंगपुर, हीराकुंड (उड़ीसा), सिक्का, पोरबन्दर, द्वारिका, अहमदाबाद, सिवालिया, रानाबाव (गुजरात), लखेरी, स्वाई, चित्तौड़गढ़, चुरु, निम्बहेड़ा (राजस्थान), बंगलोर, शाहाबाद, बजीपुर, भद्रावती, गोंडा बागलकोट (कर्नाटक), विजयबाड़ा, मनचेरियल, गुन्टुर, कर्नूल, पनियाम, मंगलागिरी (आन्ध्र नारन प्रदेश), डालमियापुरम, तलैयूथ, शंकरीदुर्ग, तुलुकापट्टी, अलंगुलम, मधुककरई (तमिलनाडु), गौली कोट्टायम (केरल), सूरजपुर, डालमिया दाद्री (हरियाणा) ।

7. अल्युमिनियम उद्योगभारत में अल्युमिनियम का पहला कारखाना 1937 न ई० में जे० के० नगर (प० बंगाल) में स्थापित किया गया ।
स्थान-मूरी (झारखंड), अलवाय (केरल), जे० के० नगर, बेलूर (प० बंगाल), हीराकुंड (उड़ीसा), रेणुकुट (उ० प्र०) कोयना मैटर (तमिलनाडु) ।।

8. रासायनिक उर्वरक उद्योगभारत में सुपर फॉस्फेट उर्वरक का पहला कारखाना 1906 ई० में रानीपेट (तमिलनाडु) में स्थापित किया गया । एशिया में सबसे बड़ा उर्वरक उद्योग सिन्दरी (झारखंड) में है ।
स्थान-सिन्दरी (झारखंड) बरौनी (बिहार), गोरखपुर, वाराणसी, फूलपुर (उ० प्र०) रामागुण्डम, विशाखापत्तनम, मौलाअली, तादेपल्ली (आ० प्र०), राउरकेला, तालचर (उड़ीसा), खेतड़ी, कोटा, सीकर (राजस्थान), मुम्बई, ट्राम्बे, अम्बरनाथ (महाराष्ट्र), नामरूप, चन्द्रपुर (असम), बर्नपुर, हल्दिया, रिसड़ा (प० बंगाल), मंगलोर,
गुला, मुनीराबाद (कर्नाटक), नैवेली, रानीपेट, इन्नोर (तमिलनाडु), कान्डला, अदिरा, हजीरा, भावनगर (गुजरात) अलवाय (केरल), नंगल (पंजाब) और दिल्ली।

9. अभियान्त्रिकी उद्योग- इंजीनियरिंग उद्योग के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की पुओं एवं निर्माण उद्योगों में काम आनेवाली मशीनों और औजारों का निर्माण किया जाता है।
स्थान-हटिया, राँची (झारखंड), दुर्गापुर, कलकत्ता (प० बंगाल), हैट विशाखापत्तनम, (आ० प्र०), नैनी (उ० प्र०), बंगलोर (कर्नाटक), अजमेर (२ अम्बरनाथ, पिम्परी (महा०),पिंजौर, बटाला (पंजाब) कलामेसरी (केरल) ।

10. रेलवे उद्योग

(A) रेलवे इंजन—चित्तरंजन (बंगाल), वाराणसी (उ० प्र०)
(B) रेलवे डिब्बे-पेराम्बुदुर (तमिलनाडु), कपुरथला (पंजाब), बंगलोर, कलकत्ता ।
(C) वर्कशॉप-खड़गपुर, जमालपुर, लिलुआ, बनपरे, समस्तीपुर, ब गोरखपुर, अजमेर, झाँसी।।

11. जलयान उद्योग–विशाखापत्तनम, (आ० प्र०), कलकत्ता (प० बंगाल मुम्बई, मंझगाँव (महा०), कोचीन (केरल) ।।

12. वायुयान उद्योगबंगलोर (कर्ना०), कोरापुत (उड़ीसा), नासिक, हैदराबाद (आ० प्र०), कानपुर (उ० प्र०) ।।

13. मोटरगाड़ी उद्योग मुम्बई, पूणे (महा०), मद्रास, (तमि०), कलकल। (प० बंगाल), गुड़गाँव (हरियाणा), बंगलोर (कर्ना०), जमशेदपुर (झारखंड) ।

14. साइकिल उद्योगभारत में पहला साइकिल उद्योग 1938 ई० में मुम्बई में खुला ।।
स्थान—लुधियाना, फरीदाबाद, सोनीपत, राजपुरा (पंजाब, हरि०), आगरा, कानपुर, वाराणसी, लखनऊ (उ० प्र०), ग्वालियर (म० प्र०), पटना (बिहार) आसनसोल, कलकत्ता (प० बंगाल), मद्रास (तमि०) गौहाटी (असम) और दिल्ली।

15. शीशा उद्योगकाँड्रा, भुरकुण्डा, धनबाद (झारखंड), पटना, कहलगाँव (बिहार), फिरोजाबाद, नैनी, बहजोई, बालाबाली, रामनगर, शिकोहाबाद (उ० प्र०) बेलधरिया, रिसड़ा, वर्द्धमान, रानीगंज, बेलगछिया, आसनसोल, सीतारामपुर, (प० बंगाल), मुम्बई, पुणे, नागपुर, दादर, शोलापुर, सतारा (महा०) बड़ौदा, मौखी (गुज०), अम्बाला (हरि०), अमृतसर (पंजाब), हैदराबाद (आ० प्र०), जबलपुर (म० प्र०), बंगलोर (कर्ना०), गौहाटी (असम) ।।

16. चमड़ा उद्योगकानपुर, आगरा (उ० प्र०), कलकत्ता, बाटानगर (प० बंगाल), पटना, दीघा, मोकामा (बिहार), मुम्बई (महा०), मद्रास (तमि०), बंगलोर (कर्नाटक) तथा दिल्ली ।।

17. ऊनी वस्त्र उधोग-धारीवाल, लुधियाना, अमृतसर (पंजाब), कानपुर (उ० प्र०), श्रीनगर (कश्मीर) बंगलोर (कर्ना०) तथा मुम्बई ।

18. रेशमी वस्त्र उद्योग-भागलपुर (बिहार), तंजोर, काँचीपुरम (तमि०); मुर्शिदाबाद (प० बंगाल), श्रीनगर (कश्मीर), वाराणसी (उ० प्र०), जालंधर (पंजाब) सूरत (गुज०), बंगलोर (कर्नाटक) ।।

19. दवा निर्माण उद्योगमुम्बई, पिम्परी, पूणे (महा०), मथुरा, कानपुर हरिद्वार, ऋषिकेश, (उ० प्र०), कलकत्ता (प० बंगाल), अहमदाबाद (गुज हैदराबाद (आ० प्र०), मद्रास (तमि०), बंगलोर (कर्ना०) तथा दिल्ली।

20. रबर- उद्योग कलकत्ता, मद्रास, दिल्ली, शाहगंज, अम्बाडूर, बंगल मुम्बई, हैदराबाद ।।

21. भारी रासायनिक उद्योग (गंधकाम्ल)सिन्दरी, बेलागुला, टाटान मुम्बई, कलकत्ता, दुर्गापुर, अमृतसर, भिलाई।।

22. दियासलाई उद्योग- कलकत्ता, मद्रास, बरेली, मुम्बई, धुबरी,

23. प्लास्टिक उद्योग- कलकत्ता, बंगलोर, कोयम्बटूर, हैदराबाद, मुम्बई, कानपुर।

24. टेलीफोन-बंगलोर, रूपनारायणपुर (कलकत्ता) ।

25. विधुत इंजीनियरिंग-बंगलोर, जगदीशपुर, रानीखेत, झांसी, भोपाल, मिंची, हैदराबाद ।।

26. कीटनाशक उद्योग-रसायनी, कोचीन, कोबूर, मेडक ।। ।

27. पेट्रोल रिफाइनींग उद्योगडिगबोई, नूनमाटी (असम), कोयली (गु०), पत्तनम (आ० प्र०), ट्राम्बे (महा०), बरौनी (बिहार), मथुरा (उ० प्र०) ।

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  अपवाह तंत्र Drainage system सामान्य परिचय (General Introduction) जब नदियों के जल का बहाव कुछ निश्चत जलमार्गों (वाहिकाओं) के माध्यम से होता है तो उसे नदियों का 'अपवाह' कहते हैं तथा इन वाहिकाओं के जाल को 'अपवाह तंत्र' कहते हैं। अपवाह तंत्र मुख्य नदी एवं उनकी सहायक नदियों का एक एकीकृत तंत्र होता है, जो सतह के जल को एकत्र कर उसे दिशा प्रदान करता है। एक नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को 'अपवाह द्रोणी' कहते हैं। एक नदी, विशिष्ट क्षेत्र से अपना जल बहाकर लाती है, जिसे जलग्रहण' क्षेत्र (Catehment Area) कहा जाता है। बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को 'नदी द्रोणी' जबकि छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को 'जल-संभर' (Watershed) कहा जाता है। जल-संभर अथवा जल विभाजक एक अपवाह द्रोणी को दूसरे से अलग करने वाली सीमा है। नदियों का अपवाह प्रतिरूप (Drainage Pattern of Rivers) नदी के उद्गम स्थान से लेकर उसके मुहाने (मुख) तक नदी व उसकी सहायक नदियों द्वारा की गई रचना को ' अपवाह प्रतिरूप' कहते हैं। नदियों का अपवाह निम्नलिखित कारकों

भारत की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार,Geographical location and extent of India

  भारत की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार (Geographical location and extent of India) भौगोलिक स्थिति भारत पूर्णतया उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। भारत की मुख्य भूमि 804’ से 3706’ एवं 680 7’ से 970 25’ पूर्वी देशांतर के बीच फैली हुर्इ हैं।इस प्रकार भारत का अंक्षांशीय तथा देशांतरीय विस्तार लगभग 290 अंशों में हैं। इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक 3214 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम तक 2933 किमी. और समुद्री तट रेखा अंडमान निकोबार द्वीप समूह तथा लक्ष्यद्वीप समूह के साथ 7517 कि.मी. हैं। कर्क रेखा भारत के लगभग मध्य भाग से गुजरती है। इसी प्रकार लगभग मध्य भाग से निकलने वाली 82030’ देशांतर रेखा का समय ही भारत का मानक समय निर्धारित किया गया र्है। यह रेखा उत्तर में मिर्जापुर एंव दक्षिण में चैन्नर्इ के निकट से गुजरती हैं। भारत का कुल छेत्रफल :- 3287263 भारत की कुल जनसंख्या :-  भारत की जनसंख्या 1,359,843,564 करोड़ है। जिसमें से पुरुषों की कुल जनसंख्या 51.3% महिलाओं की कुल जनसंख्या 48.4 % है भारत की चौहद्दी भारत के पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार देश स्थित हैं, जबकि पश्चिम में पाकिस्तान और अरब सागर है ! उत्तर

भूगोल का अर्थ क्या होता है ? | What is meaning of geography?

  भूगोल का अर्थ (Meaning of geography) भूगोल का अर्थ - भूगोल दो शब्दों से मिलकर बना है- भू + गोल हिन्दी में ‘भू’ का अर्थ है पृथ्वी और ‘गोल’ का अर्थ गोलाकार स्वरूप। अंग्रेजी में इसे Geography कहते हैं जो दो यूनानी शब्दों Geo (पृथ्वीं) और graphy (वर्णन करना) से मिलकर बना है। भूगोल का शाब्दिक अर्थ ‘‘वह विषय जो पृथ्वी का संपूर्ण वर्णन करे वह भूगोल है’’ भूगोल का अर्थ समझने के पश्चात् इसकी परिभाषा पर विचार करना आवश्यक है। भूगोल की परिभाषा - रिटर के अनुसार :-   ‘‘भूगोल में पृथ्वी तल का अध्ययन किया जाता है जो कि मानव का निवास गृह है।’’ टॉलमी के अनुसार :-   ‘‘भूगोल वह आभामय विज्ञान है, जो कि पृथ्वी की झलक स्वर्ग में देखता हैं।’’ ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार :-   ‘‘भूगोल वह विज्ञान है , जो पृथ्वी के धरातल , उसके आकार , विभिन्न भौतिक आकृतियों , राजनैतिक खण्डों , जलवायु तथा जनसंख्या आदि का विशद् वर्णन करता है।’’ बुलरिज तथा र्इस्ट के अनुसार :-  ‘‘भूगोल में भूक्षेत्र तथा मानव का अध्ययन होता हैं’’ भूगोल का विषय क्षेत्र सम्पूर्ण पृथ्वी भूगोल का अध्ययन क्षेत्र है। जहाँ स्थलमण्डल, जलमण्डल , वायुमण्डल और

ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)

  सामान्य परिचय (General Introduction ) सूर्य पृथ्वी पर ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। सौर ऊर्जा ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवों को अपने कार्यों और क्रियाओं को संपादित करने में सहायता करती है। किसी भी देश में ऊर्जा संसाधनों का विकास उस देश के औद्योगिक विकास का सूचक होता है। अत: उच्च ऊर्जा उत्पादन और उसकी उचित खपत को सुनिश्चित कर देश में आर्थिक पिछड़ेपन, कुपोषण एवं अशिक्षा आदि समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। ऊर्जा संसाधन अर्थात् जिनका उपयोग ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये किया जाता है, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।  परंपरागत प्रयोग के आधार पर ऊर्जा संसाधनों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है- पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत गैर-पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत (Sources of Conventional Energy) ऊर्जा प्राप्ति के ऐसे स्रोत, जिसका उपयोग मानव पारंपरिक तौर पर आरंभ से ही करता चला आ रहा है, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, लकड़ी, चारकोल, सूखा गोबर, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि। ऐसे स्रोतों को पारंपरिक/परंपरागत ऊर्जा का स्रोत कहा जाता है। गैर-पारंपरि

आपदा प्रबंधन (disaster Management)

 सामान्य परिचय (General Introduction) कम समय एवं बिना चेतावनी के घटित होने वाली अनापेक्षित प्राकृतिक या मानव जनित घटना या परिवर्तन जिससे संबंधित क्षेत्र के मनुष्य, पशु-पक्षी, प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण दुष्प्रभावित हों, आपदा कहा जा सकता है। इन दुष्प्रभावों में मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों की मौत, पेड़ - पौधों का विनाश, मानव निर्मित वातावरण, जैसे- इमारतें , सड़कें, पुल आदि की क्षति कम या ज़्यादा मात्रा में हो सकती है। सामान्यतया आपदाएँ प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न होती हैं लेकिन मानव द्वारा प्रकृति में अवाछित हस्तक्षेप से अप्रत्यक्ष रूप से कुछ आपदाओं की तीव्रता एवं बारंबारता में वृद्धि देखी जा सकती है। कुछ आपदाएँ तो पूरी तरह मानव जनित होती हैं। प्राकृतिक आपदाओं को भी उनकी उत्पत्ति के प्रमुख कारकों के आधार पर निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जाता है- भौमिक आपदाएँ-भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन इत्यादि जलीय आपदाएँ-बाढ़, सुनामी इत्यादि मौसम संबंधी आपदाएँ-सूखा, चक्रवात, बादल का फटना, हिम झंझावत, तड़ित झंझा (Thunderstorm), शीत लहर, पाला, लू इत्यादि नोट: द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की तीसरी र

वायुमंडल किसे कहते है और उसके प्रकार ?|What is atmosphere and its types?

  वायुमंडल (Atmosphere)      पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के विस्तृत फैलाव को पृथ्‍वी का वायुमंडल (Earth atmosphere) कहते हैं. वायुमंडल की ऊपरी परत के अध्ययन को वायुविज्ञान (Aerology) और निचली परत के अध्ययन को ऋतु विज्ञान (Meterology) कहते हैं. आयतन के अनुसार वायुमंडल में 30 मील के अंदर विभिन्न गैसों का मिश्रण होता है जो इस प्रकार हैं- नाइट्रोजन 78.07 फीसदी, ऑक्सिजन 20.93 फीसदी, कॉर्बन डाईऑक्साइड .03 फीसदी और आर्गन .93 फीसदी. वायुमंडल में पाई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण गैस 1. नाइट्रोजन:   इस गैस की प्रतिशत मात्रा सभी गैसों से अधिक हैं. नाइट्रोजन की उपस्थिति के कारण ही वायुदाब, पवनों की शक्ति और प्रकाश के परावर्तन का आभास होता है. इस गैस का कोई रंग, गंध या स्वाद नहीं होता. नाइट्रोजन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह वस्तुओं को तेजी से जलने से बचाती है. अगर वायुमंडल में नाइट्रोजन ना होती तो आग पर नियंत्रण रखना कठिन हो जाता. नाइट्रोजन से पेड़-पौधों में प्रोटीनों का निर्माण होता है, जो भोजन का मुख्य का अंग है. यह गैस वायुमंडल में 128 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है. 2. ऑक्सिजन-:   यह अन्य

स्थलमंडल किसे कहते है ? | What is a lithosphere?

  स्थलमंडल (Lithosphere)      स्थलमण्डल सम्पूर्णपृथ्वी के क्षेत्रफल का 29% है। पृथ्वी के अन्दर तीन मण्डल पाए जाते हैं। ऊपरी मण्डल को भूपर्पटी अथवा क्रस्ट कहा जाता है। इसकी मोटाई 30 से 100 किमी तक होती है। महाद्वीपों में इसकी मोटाई अधिक जबकि महासागरों में या तो क्रस्ट होती ही नहीं अगर होती है तो बहुत पतली होती है। क्रस्ट का ऊपरी भाग स्थलमण्डल का प्रतिनिधित्व करता है। जिन पदार्थों से क्रस्ट का निर्माण होता है वे जैव समुदाय के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। क्रस्ट का निर्माण मुख्यतः लोहा, ऑक्सीजन, सिलिकॉन, मैग्नीशियम, निकिल, गंधक, कैल्शियम तथा ऐलुमिनियम से होता है। क्रस्ट में एल्युमिनियम तथा सिलिका की मात्रा अधिक होती है। क्रस्ट के नीचे के दूसरे मण्डल को मैण्टिल कहा जाता है जिसकी निचली सीमा 2900 किमी से पृथ्वी के केन्द्र तक है। चट्टान पृथ्वी की सतह का निर्माण करने वाले पदार्थ चट्टानें या षैल कहलाते हैं। बनावट की प्रक्रिया के आधार पर चट्टानों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है। आग्नेय चट्टान ये चट्टानें भी चट्टानों में सबसे ज्यादा (95%) मिलती है। इनका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के समय निकलने

विश्व के सर्वाधिक खनिज उत्पादक देश कौन कौन से है ? |Which are World's Most Mineral Producing Countries ?

  विश्व के सर्वाधिक खनिज उत्पादक देश (World's Most Mineral Producing Countries) खनिज उत्पादक देश लोहा चीन , आस्ट्रेलिया , ब्राजील तांबा चिली , पेरू , चीन मैंगनीज चीन , द. अफ्रीका , आस्ट्रेलिया बॉक्साइट ऑस्ट्रेलिया , ब्राजील , चीन सोना चीन , ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका जस्ता (जिंक) चीन , आस्ट्रेलिया , पेरू हीरा रूस , बोत्सवाना , कांगो निकिल रूस , इंडोनेशिया , आस्ट्रेलिया चांदी मैक्सिको , पेरू , चीन सीसा (लेड) चीन , ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका अभ्रक (माइका) चीन , अमेरिका , द. कोरिया ग्रेफाइट चीन , भारत , ब्रजील क्रोमाइट द. अफ्रीका , कजाखस्तान , भारत टंगस्टन चीन , रूस , बोलिविया कोबाल्ट कांगो , चीन