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भारत में परिवहन से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी (Transportation in India)

 

भारत में परिवहन (Transportation inIindia)


भारत में 1991 के उदारीकरण के बाद पूँजी और प्रौद्योगिकी निवेश की बाढ़ आ जाने पर परिवहन के साधनों का विकास हुआ है. भारत में परिवहन को हम चार भागों में बाँट सकते हैं.

  • सड़क परिवहन
  • रेल परिवहन
  • जल परिवहन
  • वायु परिवहन
  • रेल परिवहन:

  • भारत की पहली रेल 16 अप्रैल, 1853 ई. को बम्बई और थाणे मार्ग के बीच 34 किमी चली।
  • भारतीय रेलवे देश में परिवहन का सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है। यह लगभग तीन-चैथाई यात्री परिवहन तथा लगभग 60% माल परिवहन वहन करती है।
  • भारतीय रेल तन्त्रा यू.एस.ए., रूस, कनाडा तथा चीन के बाद संसार का पाँचवा सबसे बड़ा रेल तन्त्र है। भारतीय रेल का सर्वाधिक लम्बा रेलमार्ग जम्मूतवी से कन्याकुमारी (1751 किमी.) तक है। हिमसागर एक्सप्रेस यह यात्रा 66 घण्टों में पूरी करता है।
  • वर्तमान में भारतीय रेल का कुल मार्ग 63,140 किमी है। भारतीय रेलवें प्रतिदिन 13 लाख यात्री और 12 लाख टन माल ढोती हैं।
  • इसकी प्रतिदिन 12,000 रेलगाड़ियाँ चलती हैं, जबकि रेलवे स्टेशनों की संख्या 7,068 है।
  • भारतीय रेल की सबसे लम्बी सुरंग कोंकण रेलवे की है, जो 6.5 किमी लम्बी है।
  • भारतीय रेल की पहली विद्युत रेल फरवरी 1925 ई. में मुम्बई और कूर्ला मार्ग के बीच चली।
  • भारतीय रेलवे दुनिया की सबसे बड़ी कर्मचारी नियोक्ता कम्पनी है।
  • विश्व का सबसे लम्बा रेलवे प्लेटफार्म खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) है, जिसकी लम्बाई 2,733 फ़ुट है।
  • सोन नदी पर बना नेहरू सेतु देश में सबसे लम्बा रेल पुल है।
  • भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली रेलगाड़ी शताब्दी एक्सप्रेस है।
  • कोंकण रेलवे का निर्माण भारतीय रेल विभाग की एक अति महत्त्वपूर्ण उपलब्धि रही है। यह रेलमार्ग महाराष्ट्र में स्थित रोहा स्टेशन तथा कर्नाटक में मंगलौर को जोड़ता है।

  • जल परिवह

  • मुम्बई में न्हावशेवा बन्दरगाह भारत का सर्वाधिक अत्याधुनिक सुविधायुक्त बन्दरगाह है।
  • कांडला एक ज्वारीय बन्दरगाह है एवं वहाँ एक मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित किया गया है।
  • न्यू मंगलौर बन्दरगाह को मुख्य रूप से वु$दे्रमुख से लौह-अयस्क के निर्यात के लिए विकसित किया गया है।
  • कोचीन एक प्राकृतिक बन्दरगाह है और पष्चिमी तट का सर्वश्रेष्ठ बन्दरगाह माना जाता है।
  • मुम्बई देश का सबसे बड़ा बन्दरगाह है, जहाँ से देश का सर्वाधिक समुद्री व्यापार एवं यातायात किया जाता है।
  • चेन्नई बन्दरगाह देश का सर्वाधिक बन्दरगाह है।
  • विशाखापटटनम बन्दरगाह देश का सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक बन्दरगाह है। यह देश का सबसे गहरा बंदरगाह भी है। यहाँ पोत निर्माण एवं उनकी मरम्मत की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है।
  • इन्नौर निजी हाथों में है।
  • भारत के प्रमुख बन्दरगाह:

    बन्दरगाह :- राज्य

  • कांडला :- गुजरात
  • मुंबई :- महाराष्ट्र
  • जवाहर लाल नेहरु :- महाराष्ट्र
  • मर्मुगाँव :- गोवा
  • मंगलौर :- कर्नाटक
  • कोचीन :- केरल
  • हल्दिया :- पश्चिम बंगाल
  • पारादीप :- ओड़िशा
  • विशाखापत्तनम :- आन्ध्र प्रदेश
  • चेन्नई :- तमिलनाडु
  • इन्नौर :- तमिलनाडु
  • तूतीकोरिन :- तमिलनाडु
  • सड़क परिवहन:

  • भारत में सड़कों का वितरण बड़ा असमान है। लगभग 33 लाख किमी लम्बाई (जिसमें से लभगभग 15 लाख किमी पक्के मार्ग हैं) के साथ भारत का सड़क परिवहन विश्व की तीसरी विशालतम व्यवस्था में से एक है।
  • सड़कें की कुल लम्बाई के दष्ष्टिकोण से महाराष्ट्र देश का अग्रणी राज्य है। यहाँ सड़कों की कुल लम्बाई लगभग 1,65,000 किमी है। तमिलनाडु इस दष्ष्टिकोण से दूसरे स्थान पर है तथा इसके बाद मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश का स्थान है। सड़कों का सबसे अधिक घनत्व पंजाब में है।
  • ग्रांड ट्रंक रोड, भारत की प्रसिद्ध ऐतिहासिक सड़क है जो कोलकाता से लाहौर तक जाती थी। वर्तमान में यह कोलकाता से अम्रतसर तक है और वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर, आगरा, दिल्ली व अम्बाला से होकर गुजरती है।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई देश के सड़को को कुल लम्बाई के 3 प्रतिशत के लगभग है, लेकिन इनके जरिए कुल सड़क यातायात का लगभग 40 प्रतिषत आवागमन होता है।
  • सबसे लम्बा राष्ट्रीय राजमार्ग NH-7 है (2369 किमी), जो वाराणसी से कन्याकुमारी तक जाता है। यह उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, व तमिलनाडु से गुजरता है।
  • विश्व की सबसे ऊंची सड़क खरदुंगला (लेह-मनाली राजमार्ग पर) है, जो 18,380 फीट की ऊंचाई पर है। राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल संख्या 143 है।
  • भारत के राष्ट्रीय राजमार्गों की सूची

    1. राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 1 लम्‍बाई (456 किमी) – दिल्ली से अमृतसर और भारत-पाक सीमा के लिए (Delhi to Amritsar and Indo-Pak Border)
    2. राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 1 ए लम्‍बाई ( 663 किमी) – जालंधर से उड़ी (Jalandhar to Uri)
    3. राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 1 बी लम्‍बाई (274 किमी) – बटोटे से खानाबल (Batote to Khanbal)
    4. राष्ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 1 सी लम्‍बाई (8 किमी) – दोमेल से कटरा (Domel to Katra)
    5. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 2 लम्‍बाई (1,465 किमी) – दिल्ली से कोलकाता (Delhi to Kolkata)
    6. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 2 ए लम्‍बाई (5 किमी ) – सिकंदरा से भोगनीपुर (Sikandra to Bhognipur)
    7. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 2 बी लम्‍बाई (52 किमी) – बर्धमान से बोलपुर (Bardhaman to Bolpur)
    8. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 3 लम्‍बाई (1,161 किमी) – आगरा से मुम्‍बई (Agra to Mumbai)
    9. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 4 लम्‍बाई (1,235 किमी) – थाणे से चेन्नई (thade to Chennai)
    10. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 4ए लम्‍बाई(153 किमी) – बेलगाम से पणजी (Belgaum to Panaji)
    11. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 4बी लम्‍बाई (27 किमी) – न्हावा शेवा से पलसपे (Nhava Sheva to Palaspe)
    12. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 5 लम्‍बाई(1,533 किमी ) – बहरागोड़ा से चेन्नई (Baharagora to Chennai)
    13. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 5ए लम्‍बाई (77 किमी) – हरिदासपुर से पारादीप पोर्ट (Haridaspur to Paradip Port)
    14. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 6 लम्‍बाई(1,949 किमी) – हजीरा से कोलकाता (Hazira to Kolkata)
    15. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 7 लम्‍बाई (2,369 किमी) – वाराणासी से कन्याकुमारी (Varanasi to Kanyakumari)
    16. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 7 ए लम्‍बाई (51 किमी) – पलयमकोट्टई से तुतिकोरन बंदरगाह (Palayamkottai to Tuticorin Port)
    17. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 8 लम्‍बाई (1,428 किमी) – दिल्ली से मुम्बई (Delhi to Mumbai)
    18. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 8 ए लम्‍बाई (473 किमी) – अहमदाबाद से माण्डवी (Ahmedabad to Mandvi)
    19. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 8 बी लम्‍बाई (206 किमी) – बमंबोरे से पोरबन्दर (Bamanbore to porbunder)
    20. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 8 सी लम्‍बाई (46 किमी) – चिलोड़ा से सरखेज (Childo to Sarkhej)
    21. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 8 डी लम्‍बाई (127 किमी) – जैतपुर से सोमनाथ (Jetpur to Somnath)
    22. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 8ई लम्‍बाई (220 किमी) – सोमनाथ से भावनगर (Somnath to Bhavnagar)
    23. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 9 लम्‍बाई(841 किमी) – पुणे से मचिल्लीपत्नम् (Pune to Machillipatnam)
    24. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 10 लम्‍बाई (403 किमी) – दिल्ली से भारत पाक सीमा(Delhi to Indo-Pak Border)
    25. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 11 लम्‍बाई (582 किमी) – आगरा से बीकानेर (Agra to Bikaner)
    26. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 11 ए लम्‍बाई (145 किमी) – मनोहरपुर से कौथुम (Manoharpur to Kothum)
    27. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 11 बी लम्‍बाई (180 किमी) – लालसोट से धौलपुर (Lalsot to Dholpur)
    28. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highways) 12 लम्‍बाई (890 किमी) – जबलपुर से जयपुर (Jabalpur to Jaipur)
    29. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 12 ए लम्‍बाई (333 किमी) – जबलपुर से झाँसी (Jabalpur to Jhansi)
    30. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 13 लम्‍बाई (691 किमी) – सोलापूर से मंगलौर (Solapur to Mangalore)
    31. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 14 लम्‍बाई (450 किमी) – बेअवर से राधानपुर (Beawar to Radhanpur)
    32. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 15 लम्‍बाई (1,526 किमी) – पठानकोट से समाख्याली (Pathankot to Samakhiali)
    33. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 16 लम्‍बाई (460 किमी) – निज़ामाबाद से जगदलपुर (Nizamabad to Jagdalpur)
    34. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 17 लम्‍बाई (1,269 किमी) – पनवेल से इदपल्ली (Panvel to Edapally)
    35. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 17 ए लम्‍बाई (19 किमी) – कोर्टलम से मढ़गाव (Cortalim to Murmugao)
    36. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 17 बी लम्‍बाई (40 किमी) – पौंड वर्ना से वास्को (Ponda Verna to Vasco)
    37. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 18 लम्‍बाई (369 किमी) – कुरनूल से चित्तूर (Kurnool to Chittoor)
    38. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 18A लम्‍बाई (50 किमी) – पुथलपट्टू से तिरुपति (Puthalapattu to Tirupati)
    39. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 19 लम्‍बाई (240 किमी) – गाज़ीपुर से पटना (Ghazipur to Patna)
    40. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 20 लम्‍बाई (220 किमी) – पठानकोट से मंडी (Pathankot to Mandi)
    41. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 21लम्‍बाई (323 किमी) – चंड़ीगढ़ से मनाली (Chandigarh to Manali)
    42. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 21A लम्‍बाई (65 किमी) – पिंजौर से स्‍वारघाट (Pinjore to Swarghat)
    43. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 22 लम्‍बाई (459 किमी) – अंबाला से शिपकिला (Ambala to Shipkila)
    44. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 23 लम्‍बाई (459 किमी) – चस से तलचेर (Chas to Talcher)
    45. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 24 लम्‍बाई (438 किमी) – दिल्ली से लखनऊ (Delhi to Lucknow)
    46. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 24ए लम्‍बाई (17 किमी) – बख्शी का तालाब से चेन्हट (Bakshi Ka Talab to Chenhat)
    47. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 25 लम्‍बाई (352 किमी) – लखनऊ से शिवपुरी (Lucknow to Shivpuri)
    48. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 26 लम्‍बाई (396 किमी) – झाँसी से लखान्दों (Jhansi to Lakhnadon)
    49. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 27 लम्‍बाई (93 किमी) – इलाहाबाद से मंगावन (Allahabad to Mangawan)
    50. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 28 लम्‍बाई (570 किमी) – मुजफ्फरपुर से लखनऊ (Muzaffarpur to Lucknow)
    51. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 28 ए लम्‍बाई (68 किमी) – पीपरा से भारतीय नेपाल सीमा (Pipra to Indo and Nepal Border)
    52. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 28 सी लम्‍बाई (184 किमी) – बाराबंकी से नेपाल सीमा (Barabanki to Nepal Border)
    53. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 29 लम्‍बाई (196 किमी) – गोरखपुर से वाराणसी (Gorakhpur to Varanasi)
    54. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 30 लम्‍बाई (230 किमी) – मोहनिया से बख्तियारपुर (Mohania to Bakhtiarpur)
    55. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 30 ए लम्‍बाई (65 किमी) – फतुहा से बर्ह (Fatuha to Barh)
    56. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 31 लम्‍बाई (1,125 किमी) – बरही से अमीनगाँव (Barhi to Amingaon)
    57. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 31 ए लम्‍बाई (92 किमी) – सिवोक से गंगटोक (Sevok to Gangtok)
    58. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 31 बी लम्‍बाई (19 किमी) – उत्तरी सलमारा से जोगीघोपा (North Salmara to Jogighopa)
    59. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 31सी लम्‍बाई (235 किमी) – गलगलिया के पास से बिजनी (Near Galgalia to Bijni)
    60. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 32 लम्‍बाई (179 किमी) – गोविंदपुर से जमशेदपुर (Gobindpur to Jamshedpur)
    61. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 33 लम्‍बाई (352 किमी) – बरही से बहाराघोरा (Barhi to Baharagora)
    62. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 34 लम्‍बाई (443 किमी) – दलकोला से कोलकाता (Dalkhola to Kolkata)
    63. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 35 लम्‍बाई (61 किमी) – बरसात से भारत बांगलादेश सीमा (Barasat to India and Bangladesh border)
    64. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 36 लम्‍बाई (170 किमी) – नौवगौँग से दीमापुर (मणिपुर रोड) (Nowgong to Dimapur)(Manipur Road)
    65. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 37 लम्‍बाई (680 किमी) – गोलपरा से शैखोआघाट (Goalpara to Saikhoaghat)
    66. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 37 ए लम्‍बाई (23 किमी) –कुआरीताल से राष्ट्रीय राजमार्ग 52 तक (Kuarital to Junction with NH 52)
    67. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 38 लम्‍बाई (54 किमी) – मुकूम से लेखपानी (Makum to Lekhapani)
    68. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 39 लम्‍बाई (436 किमी) – नुमालीगढ़ से भारत बर्मा सीमा (Numaligarh to Indo Burma Border)
    69. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 40 लम्‍बाई (216 किमी) – जोरबाट से जोवाई (Jorabat to Jowai)
    70. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 41 लम्‍बाई (51 किमी) – कोलाघाट से हल्दिया बंदरगाह (Kolaghat to Haldia Port)
    71. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 42 लम्‍बाई (261 किमी) – संबलपुर से कटक के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 5 के संगम तक (Sambalpur Angual Junction with NH5 near Cuttack)
    72. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 43 लम्‍बाई (551 किमी) – उड़ीसा सीमा से जगदलपुर विज़ियानागरम नतवलासा के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 5 के संगम तक (Orissa border to Jagdalpur and Vizianagaram Junction with NH 5 near Natavalasa)
    73. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 44 लम्‍बाई (630 किमी) – शिलौंग से सब्रूम (Shillong to Sabroom)
    74. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 44 ए लम्‍बाई (230 किमी) –एज़वाल से मनु (Aizawl to Manu)
    75. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 45 लम्‍बाई (387 किमी) – चेन्नई से थेनी (Chennai to Theni)
    76. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 45ए लम्‍बाई (190 किमी) – विल्लुपुरम से नागापतनम (Villupuram to Nagapattinam)
    77. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 45बी लम्‍बाई (257 किमी) – त्रिची से टुतिकोरिन (Trichy to Tuticorin)
    78. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 46 लम्‍बाई (132 किमी) – कृश्नागिरि से रानीपेट (Krishnagiri to Ranipet)
    79. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 47 लम्‍बाई (640 किमी) – सलेम से कन्या कुमारी (Salem to Kanyakumari)
    80. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 47ए लम्‍बाई (6 किमी) –राष्ट्रीय राजमार्ग 47 के संगम से विलिंगटन द्वीप (Junction with NH 47 at Kundanoor to Willington Island)
    81. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 48 (328 किमी) – बेंगलोर से मैंगलोर (Bangalore to Magalore)
    82. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 49 (440 किमी) – कोचीन से धनुषकोडी (Kochi to Dhanushkodi)
    83. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 50 (192 किमी) – नासिक से पुणे के पास राष्ट्रीय राजमार्ग 4 तक (Nasik to Junction with NH 4 near Pune)
    84. राष्‍ट्रीय राजमार्ग (National Highway) 51 (149 किमी) – पैकन से दालु (Paikan to Dalu)
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    वायु परिवहन:
  • जे. आर. डी. टाटा प्रथम भारतीय थे जिन्होंने 1931 में मुम्बई से कराची तक अकेले उड़ान भरी थी।
  • 1935 में ‘टाटा एयरलाइन्स’ की स्थापना की गई थी। इसकी शुरूआत उड़ान मुम्बई से तिरुवनन्तपुरम के बीच थी। 1937 से इसकी सेवाएँ मुम्बई-दिल्ली के बीच शुरू हुई।
  • 1935 में सभी विमान कम्पनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया तथा ‘एयर इन्डिया’ और ‘इंडियन एयरलाइन्स’ अस्तित्व में आई। एयर इंडिया को अन्तर्राष्ट्रीय उड़ानों का दायित्व सौपा गया जबकि इंडियन एयरलाइन्स को अन्तर्देषीय पड़ोसी देशों की सेवाओं की जिम्मेदारी सौंपी गई।
  • वर्तमान में एयर इंडिया एवं इंडियन एयरलाइंस का विलय कर दिया गया है। विलयित कंपनी द नेषनल एविएषन कंपनी आॅफ इंडिया लिमिटेड है। अब यह एयर इंडिया के नाम से ही सेवायें उपलब्ध करायेगी। विलय के पश्चात् नवस्रजित एयर
  • इंडिया के पास 111 विमानों का बेड़ा हो गया है, जिससे विश्व की 30 बड़ी एयरलाइंस में इसका स्थान हो गया है। एयर इंडिया का शुभंकर महाराजा ही नवस्रजित कंपनी का भी शुभंकर होगा।
  • भारत के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे

  • अहमदाबाद —-सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा— भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • अमृतसर— श्री गुरु राम दास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा— भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • बेंगलुरू —बेंगलुरू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा— बेंगलुरू अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड
  • चेन्नई –चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा— भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • कोचीन– कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट कोचीन— इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड
  • गोवा— गोवा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा —भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • गुवाहाटी —लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा —भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • हैदराबाद —जीएमआर राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा —जीएमआर हैदराबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट (पी) लिमिटेड
  • कोलकाता—- नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा — भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • मुंबई —छत्रपति शिवाजी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा — GVK के नेतृत्व में संघ और विमानपत्तन प्राधिकरण
  • दिल्ली— इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा—- जीएमआर समूह (54%), भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (26%), Fraport और Eraman मलेशिया (10% प्रत्येक)।
  • तिरुवनंतपुरम—- त्रिवेंद्रम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा—- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • पोर्ट ब्लेयर —-वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा—- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • कालीकट—- कालीकट अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा —-भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • नागपुर—- बाबासाहेब अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा —-भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • जयपुर —-जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा —-भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • लखनऊ —-चौधरी चरण सिंह अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा —–भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • वाराणसी —-लाल बहादुर शास्त्री अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा —-भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • मंगलौर —-मंगलौर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा—- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • तिरुचिरापल्ली —- तिरुचिरापल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा —-भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • कोयम्बटूर —-कोयम्बटूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा —-भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • भुवनेश्वर —बीजू पटनायक हवाई अड्डा— भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण
  • इम्फाल —- इम्फाल हवाई अड्डा —-भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण

  • अन्य जानकारी

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     📚● सौरमंडल में कुल कितने ग्रह हैं— 8  📚● सूर्य के चारों ओर घूमने वाले पिंड को क्या कहते हैं— ग्रह  सभी विषयों के ज्ञान के लिए यहां क्लिक करें। 📚● किसी ग्रह के चारों ओर घूमने वाले पिंड को क्या कहते हैं— उपग्रह  📚● ग्रहों की गति के नियम का पता किसने लगाया— केपलर  📚● अंतरिक्ष में कुल कितने तारा मंडल हैं— 89  📚● सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह कौन-सा है— बृहस्पति  📚● सौरमंडल का जन्मदाता किसे कहा जाता है— सूर्य को   📚● कौन-से ग्रह सूर्य के चारों ओर दक्षिणावर्त घूमते हैं— शुक्र व अरुण  📚● ‘निक्स ओलंपिया कोलंपस पर्वत’ किस ग्रह पर है— मंगल  📚● ब्रह्मांड में विस्फोटी तारा क्या कहलाता है— अभिनव तारा  📚● सौरमंडल की खोज किसने की— कॉपरनिकस   📚● प्राचीन भारतीय सूर्य को क्या मानते थे— ग्रह   📚● सूर्य कौन-सी गैस का गोला है— हाइड्रोजन व हीलियम  📚● सूर्य के मध्य भाग को क्या कहते हैं— प्रकाश मंडल  सभी विषयों के ज्ञान के लिए यहां क्लिक करें। 📚● किस देश र्में अरात्रि को सूर्य दिखाई देता है— नॉर्वे  📚● सूर्य से ग्रह की दूरी को क्या कहा जाता है— उपसौर  📚● सूर्य के धरातल का तापमान लगभग कितना है—

    भूगोल का अर्थ क्या होता है ? | What is meaning of geography?

      भूगोल का अर्थ (Meaning of geography) भूगोल का अर्थ - भूगोल दो शब्दों से मिलकर बना है- भू + गोल हिन्दी में ‘भू’ का अर्थ है पृथ्वी और ‘गोल’ का अर्थ गोलाकार स्वरूप। अंग्रेजी में इसे Geography कहते हैं जो दो यूनानी शब्दों Geo (पृथ्वीं) और graphy (वर्णन करना) से मिलकर बना है। भूगोल का शाब्दिक अर्थ ‘‘वह विषय जो पृथ्वी का संपूर्ण वर्णन करे वह भूगोल है’’ भूगोल का अर्थ समझने के पश्चात् इसकी परिभाषा पर विचार करना आवश्यक है। भूगोल की परिभाषा - रिटर के अनुसार :-   ‘‘भूगोल में पृथ्वी तल का अध्ययन किया जाता है जो कि मानव का निवास गृह है।’’ टॉलमी के अनुसार :-   ‘‘भूगोल वह आभामय विज्ञान है, जो कि पृथ्वी की झलक स्वर्ग में देखता हैं।’’ ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार :-   ‘‘भूगोल वह विज्ञान है , जो पृथ्वी के धरातल , उसके आकार , विभिन्न भौतिक आकृतियों , राजनैतिक खण्डों , जलवायु तथा जनसंख्या आदि का विशद् वर्णन करता है।’’ बुलरिज तथा र्इस्ट के अनुसार :-  ‘‘भूगोल में भूक्षेत्र तथा मानव का अध्ययन होता हैं’’ भूगोल का विषय क्षेत्र सम्पूर्ण पृथ्वी भूगोल का अध्ययन क्षेत्र है। जहाँ स्थलमण्डल, जलमण्डल , वायुमण्डल और

    भारत की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार,Geographical location and extent of India

      भारत की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार (Geographical location and extent of India) भौगोलिक स्थिति भारत पूर्णतया उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। भारत की मुख्य भूमि 804’ से 3706’ एवं 680 7’ से 970 25’ पूर्वी देशांतर के बीच फैली हुर्इ हैं।इस प्रकार भारत का अंक्षांशीय तथा देशांतरीय विस्तार लगभग 290 अंशों में हैं। इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक 3214 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम तक 2933 किमी. और समुद्री तट रेखा अंडमान निकोबार द्वीप समूह तथा लक्ष्यद्वीप समूह के साथ 7517 कि.मी. हैं। कर्क रेखा भारत के लगभग मध्य भाग से गुजरती है। इसी प्रकार लगभग मध्य भाग से निकलने वाली 82030’ देशांतर रेखा का समय ही भारत का मानक समय निर्धारित किया गया र्है। यह रेखा उत्तर में मिर्जापुर एंव दक्षिण में चैन्नर्इ के निकट से गुजरती हैं। भारत का कुल छेत्रफल :- 3287263 भारत की कुल जनसंख्या :-  भारत की जनसंख्या 1,359,843,564 करोड़ है। जिसमें से पुरुषों की कुल जनसंख्या 51.3% महिलाओं की कुल जनसंख्या 48.4 % है भारत की चौहद्दी भारत के पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार देश स्थित हैं, जबकि पश्चिम में पाकिस्तान और अरब सागर है ! उत्तर

    वायुमंडल किसे कहते है और उसके प्रकार ?|What is atmosphere and its types?

      वायुमंडल (Atmosphere)      पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के विस्तृत फैलाव को पृथ्‍वी का वायुमंडल (Earth atmosphere) कहते हैं. वायुमंडल की ऊपरी परत के अध्ययन को वायुविज्ञान (Aerology) और निचली परत के अध्ययन को ऋतु विज्ञान (Meterology) कहते हैं. आयतन के अनुसार वायुमंडल में 30 मील के अंदर विभिन्न गैसों का मिश्रण होता है जो इस प्रकार हैं- नाइट्रोजन 78.07 फीसदी, ऑक्सिजन 20.93 फीसदी, कॉर्बन डाईऑक्साइड .03 फीसदी और आर्गन .93 फीसदी. वायुमंडल में पाई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण गैस 1. नाइट्रोजन:   इस गैस की प्रतिशत मात्रा सभी गैसों से अधिक हैं. नाइट्रोजन की उपस्थिति के कारण ही वायुदाब, पवनों की शक्ति और प्रकाश के परावर्तन का आभास होता है. इस गैस का कोई रंग, गंध या स्वाद नहीं होता. नाइट्रोजन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह वस्तुओं को तेजी से जलने से बचाती है. अगर वायुमंडल में नाइट्रोजन ना होती तो आग पर नियंत्रण रखना कठिन हो जाता. नाइट्रोजन से पेड़-पौधों में प्रोटीनों का निर्माण होता है, जो भोजन का मुख्य का अंग है. यह गैस वायुमंडल में 128 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है. 2. ऑक्सिजन-:   यह अन्य

    स्थलमंडल किसे कहते है ? | What is a lithosphere?

      स्थलमंडल (Lithosphere)      स्थलमण्डल सम्पूर्णपृथ्वी के क्षेत्रफल का 29% है। पृथ्वी के अन्दर तीन मण्डल पाए जाते हैं। ऊपरी मण्डल को भूपर्पटी अथवा क्रस्ट कहा जाता है। इसकी मोटाई 30 से 100 किमी तक होती है। महाद्वीपों में इसकी मोटाई अधिक जबकि महासागरों में या तो क्रस्ट होती ही नहीं अगर होती है तो बहुत पतली होती है। क्रस्ट का ऊपरी भाग स्थलमण्डल का प्रतिनिधित्व करता है। जिन पदार्थों से क्रस्ट का निर्माण होता है वे जैव समुदाय के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। क्रस्ट का निर्माण मुख्यतः लोहा, ऑक्सीजन, सिलिकॉन, मैग्नीशियम, निकिल, गंधक, कैल्शियम तथा ऐलुमिनियम से होता है। क्रस्ट में एल्युमिनियम तथा सिलिका की मात्रा अधिक होती है। क्रस्ट के नीचे के दूसरे मण्डल को मैण्टिल कहा जाता है जिसकी निचली सीमा 2900 किमी से पृथ्वी के केन्द्र तक है। चट्टान पृथ्वी की सतह का निर्माण करने वाले पदार्थ चट्टानें या षैल कहलाते हैं। बनावट की प्रक्रिया के आधार पर चट्टानों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है। आग्नेय चट्टान ये चट्टानें भी चट्टानों में सबसे ज्यादा (95%) मिलती है। इनका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के समय निकलने

    अपवाह तंत्र (Drainage system)

      अपवाह तंत्र Drainage system सामान्य परिचय (General Introduction) जब नदियों के जल का बहाव कुछ निश्चत जलमार्गों (वाहिकाओं) के माध्यम से होता है तो उसे नदियों का 'अपवाह' कहते हैं तथा इन वाहिकाओं के जाल को 'अपवाह तंत्र' कहते हैं। अपवाह तंत्र मुख्य नदी एवं उनकी सहायक नदियों का एक एकीकृत तंत्र होता है, जो सतह के जल को एकत्र कर उसे दिशा प्रदान करता है। एक नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को 'अपवाह द्रोणी' कहते हैं। एक नदी, विशिष्ट क्षेत्र से अपना जल बहाकर लाती है, जिसे जलग्रहण' क्षेत्र (Catehment Area) कहा जाता है। बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को 'नदी द्रोणी' जबकि छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को 'जल-संभर' (Watershed) कहा जाता है। जल-संभर अथवा जल विभाजक एक अपवाह द्रोणी को दूसरे से अलग करने वाली सीमा है। नदियों का अपवाह प्रतिरूप (Drainage Pattern of Rivers) नदी के उद्गम स्थान से लेकर उसके मुहाने (मुख) तक नदी व उसकी सहायक नदियों द्वारा की गई रचना को ' अपवाह प्रतिरूप' कहते हैं। नदियों का अपवाह निम्नलिखित कारकों

    ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)

      सामान्य परिचय (General Introduction ) सूर्य पृथ्वी पर ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। सौर ऊर्जा ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवों को अपने कार्यों और क्रियाओं को संपादित करने में सहायता करती है। किसी भी देश में ऊर्जा संसाधनों का विकास उस देश के औद्योगिक विकास का सूचक होता है। अत: उच्च ऊर्जा उत्पादन और उसकी उचित खपत को सुनिश्चित कर देश में आर्थिक पिछड़ेपन, कुपोषण एवं अशिक्षा आदि समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। ऊर्जा संसाधन अर्थात् जिनका उपयोग ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये किया जाता है, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।  परंपरागत प्रयोग के आधार पर ऊर्जा संसाधनों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है- पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत गैर-पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत (Sources of Conventional Energy) ऊर्जा प्राप्ति के ऐसे स्रोत, जिसका उपयोग मानव पारंपरिक तौर पर आरंभ से ही करता चला आ रहा है, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, लकड़ी, चारकोल, सूखा गोबर, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि। ऐसे स्रोतों को पारंपरिक/परंपरागत ऊर्जा का स्रोत कहा जाता है। गैर-पारंपरि

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    अपवाह तंत्र (Drainage system)

      अपवाह तंत्र Drainage system सामान्य परिचय (General Introduction) जब नदियों के जल का बहाव कुछ निश्चत जलमार्गों (वाहिकाओं) के माध्यम से होता है तो उसे नदियों का 'अपवाह' कहते हैं तथा इन वाहिकाओं के जाल को 'अपवाह तंत्र' कहते हैं। अपवाह तंत्र मुख्य नदी एवं उनकी सहायक नदियों का एक एकीकृत तंत्र होता है, जो सतह के जल को एकत्र कर उसे दिशा प्रदान करता है। एक नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को 'अपवाह द्रोणी' कहते हैं। एक नदी, विशिष्ट क्षेत्र से अपना जल बहाकर लाती है, जिसे जलग्रहण' क्षेत्र (Catehment Area) कहा जाता है। बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को 'नदी द्रोणी' जबकि छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को 'जल-संभर' (Watershed) कहा जाता है। जल-संभर अथवा जल विभाजक एक अपवाह द्रोणी को दूसरे से अलग करने वाली सीमा है। नदियों का अपवाह प्रतिरूप (Drainage Pattern of Rivers) नदी के उद्गम स्थान से लेकर उसके मुहाने (मुख) तक नदी व उसकी सहायक नदियों द्वारा की गई रचना को ' अपवाह प्रतिरूप' कहते हैं। नदियों का अपवाह निम्नलिखित कारकों

    भारत की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार,Geographical location and extent of India

      भारत की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार (Geographical location and extent of India) भौगोलिक स्थिति भारत पूर्णतया उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। भारत की मुख्य भूमि 804’ से 3706’ एवं 680 7’ से 970 25’ पूर्वी देशांतर के बीच फैली हुर्इ हैं।इस प्रकार भारत का अंक्षांशीय तथा देशांतरीय विस्तार लगभग 290 अंशों में हैं। इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक 3214 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम तक 2933 किमी. और समुद्री तट रेखा अंडमान निकोबार द्वीप समूह तथा लक्ष्यद्वीप समूह के साथ 7517 कि.मी. हैं। कर्क रेखा भारत के लगभग मध्य भाग से गुजरती है। इसी प्रकार लगभग मध्य भाग से निकलने वाली 82030’ देशांतर रेखा का समय ही भारत का मानक समय निर्धारित किया गया र्है। यह रेखा उत्तर में मिर्जापुर एंव दक्षिण में चैन्नर्इ के निकट से गुजरती हैं। भारत का कुल छेत्रफल :- 3287263 भारत की कुल जनसंख्या :-  भारत की जनसंख्या 1,359,843,564 करोड़ है। जिसमें से पुरुषों की कुल जनसंख्या 51.3% महिलाओं की कुल जनसंख्या 48.4 % है भारत की चौहद्दी भारत के पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार देश स्थित हैं, जबकि पश्चिम में पाकिस्तान और अरब सागर है ! उत्तर

    भूगोल का अर्थ क्या होता है ? | What is meaning of geography?

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    ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)

      सामान्य परिचय (General Introduction ) सूर्य पृथ्वी पर ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। सौर ऊर्जा ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवों को अपने कार्यों और क्रियाओं को संपादित करने में सहायता करती है। किसी भी देश में ऊर्जा संसाधनों का विकास उस देश के औद्योगिक विकास का सूचक होता है। अत: उच्च ऊर्जा उत्पादन और उसकी उचित खपत को सुनिश्चित कर देश में आर्थिक पिछड़ेपन, कुपोषण एवं अशिक्षा आदि समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। ऊर्जा संसाधन अर्थात् जिनका उपयोग ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये किया जाता है, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।  परंपरागत प्रयोग के आधार पर ऊर्जा संसाधनों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है- पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत गैर-पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत (Sources of Conventional Energy) ऊर्जा प्राप्ति के ऐसे स्रोत, जिसका उपयोग मानव पारंपरिक तौर पर आरंभ से ही करता चला आ रहा है, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, लकड़ी, चारकोल, सूखा गोबर, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि। ऐसे स्रोतों को पारंपरिक/परंपरागत ऊर्जा का स्रोत कहा जाता है। गैर-पारंपरि

    आपदा प्रबंधन (disaster Management)

     सामान्य परिचय (General Introduction) कम समय एवं बिना चेतावनी के घटित होने वाली अनापेक्षित प्राकृतिक या मानव जनित घटना या परिवर्तन जिससे संबंधित क्षेत्र के मनुष्य, पशु-पक्षी, प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण दुष्प्रभावित हों, आपदा कहा जा सकता है। इन दुष्प्रभावों में मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों की मौत, पेड़ - पौधों का विनाश, मानव निर्मित वातावरण, जैसे- इमारतें , सड़कें, पुल आदि की क्षति कम या ज़्यादा मात्रा में हो सकती है। सामान्यतया आपदाएँ प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न होती हैं लेकिन मानव द्वारा प्रकृति में अवाछित हस्तक्षेप से अप्रत्यक्ष रूप से कुछ आपदाओं की तीव्रता एवं बारंबारता में वृद्धि देखी जा सकती है। कुछ आपदाएँ तो पूरी तरह मानव जनित होती हैं। प्राकृतिक आपदाओं को भी उनकी उत्पत्ति के प्रमुख कारकों के आधार पर निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जाता है- भौमिक आपदाएँ-भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन इत्यादि जलीय आपदाएँ-बाढ़, सुनामी इत्यादि मौसम संबंधी आपदाएँ-सूखा, चक्रवात, बादल का फटना, हिम झंझावत, तड़ित झंझा (Thunderstorm), शीत लहर, पाला, लू इत्यादि नोट: द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की तीसरी र

    वायुमंडल किसे कहते है और उसके प्रकार ?|What is atmosphere and its types?

      वायुमंडल (Atmosphere)      पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के विस्तृत फैलाव को पृथ्‍वी का वायुमंडल (Earth atmosphere) कहते हैं. वायुमंडल की ऊपरी परत के अध्ययन को वायुविज्ञान (Aerology) और निचली परत के अध्ययन को ऋतु विज्ञान (Meterology) कहते हैं. आयतन के अनुसार वायुमंडल में 30 मील के अंदर विभिन्न गैसों का मिश्रण होता है जो इस प्रकार हैं- नाइट्रोजन 78.07 फीसदी, ऑक्सिजन 20.93 फीसदी, कॉर्बन डाईऑक्साइड .03 फीसदी और आर्गन .93 फीसदी. वायुमंडल में पाई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण गैस 1. नाइट्रोजन:   इस गैस की प्रतिशत मात्रा सभी गैसों से अधिक हैं. नाइट्रोजन की उपस्थिति के कारण ही वायुदाब, पवनों की शक्ति और प्रकाश के परावर्तन का आभास होता है. इस गैस का कोई रंग, गंध या स्वाद नहीं होता. नाइट्रोजन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह वस्तुओं को तेजी से जलने से बचाती है. अगर वायुमंडल में नाइट्रोजन ना होती तो आग पर नियंत्रण रखना कठिन हो जाता. नाइट्रोजन से पेड़-पौधों में प्रोटीनों का निर्माण होता है, जो भोजन का मुख्य का अंग है. यह गैस वायुमंडल में 128 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है. 2. ऑक्सिजन-:   यह अन्य

    विश्व के सर्वाधिक खनिज उत्पादक देश कौन कौन से है ? |Which are World's Most Mineral Producing Countries ?

      विश्व के सर्वाधिक खनिज उत्पादक देश (World's Most Mineral Producing Countries) खनिज उत्पादक देश लोहा चीन , आस्ट्रेलिया , ब्राजील तांबा चिली , पेरू , चीन मैंगनीज चीन , द. अफ्रीका , आस्ट्रेलिया बॉक्साइट ऑस्ट्रेलिया , ब्राजील , चीन सोना चीन , ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका जस्ता (जिंक) चीन , आस्ट्रेलिया , पेरू हीरा रूस , बोत्सवाना , कांगो निकिल रूस , इंडोनेशिया , आस्ट्रेलिया चांदी मैक्सिको , पेरू , चीन सीसा (लेड) चीन , ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका अभ्रक (माइका) चीन , अमेरिका , द. कोरिया ग्रेफाइट चीन , भारत , ब्रजील क्रोमाइट द. अफ्रीका , कजाखस्तान , भारत टंगस्टन चीन , रूस , बोलिविया कोबाल्ट कांगो , चीन

    स्थलमंडल किसे कहते है ? | What is a lithosphere?

      स्थलमंडल (Lithosphere)      स्थलमण्डल सम्पूर्णपृथ्वी के क्षेत्रफल का 29% है। पृथ्वी के अन्दर तीन मण्डल पाए जाते हैं। ऊपरी मण्डल को भूपर्पटी अथवा क्रस्ट कहा जाता है। इसकी मोटाई 30 से 100 किमी तक होती है। महाद्वीपों में इसकी मोटाई अधिक जबकि महासागरों में या तो क्रस्ट होती ही नहीं अगर होती है तो बहुत पतली होती है। क्रस्ट का ऊपरी भाग स्थलमण्डल का प्रतिनिधित्व करता है। जिन पदार्थों से क्रस्ट का निर्माण होता है वे जैव समुदाय के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। क्रस्ट का निर्माण मुख्यतः लोहा, ऑक्सीजन, सिलिकॉन, मैग्नीशियम, निकिल, गंधक, कैल्शियम तथा ऐलुमिनियम से होता है। क्रस्ट में एल्युमिनियम तथा सिलिका की मात्रा अधिक होती है। क्रस्ट के नीचे के दूसरे मण्डल को मैण्टिल कहा जाता है जिसकी निचली सीमा 2900 किमी से पृथ्वी के केन्द्र तक है। चट्टान पृथ्वी की सतह का निर्माण करने वाले पदार्थ चट्टानें या षैल कहलाते हैं। बनावट की प्रक्रिया के आधार पर चट्टानों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है। आग्नेय चट्टान ये चट्टानें भी चट्टानों में सबसे ज्यादा (95%) मिलती है। इनका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के समय निकलने