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खनिज संसाधन(Mineral Resources)

 सामान्य परिचय (General Introduction)
'खनिज' से तात्पर्य प्राकृतिक रूप में पाये जाने वाले ऐसे पदार्थों से
है, जिनका निश्चित रासायनिक-भौतिक गुणधर्म एवं रासायनिक
संघटन हो। इनको खनन, उत्खनन एवं प्रवेधन द्वारा प्राप्त किया जाता
है; साथ ही इन सभी का आर्थिक महत्त्व भी होता है।
खनिज, क्षयशील संसाधन है जिनका नवीकरण नहीं किया जा सकता।
भारत के संदर्भ में खनिजों की स्थिति संतोषप्रद है। हमारे देश में
100 से अधिक प्रकार के खनिज मिलते हैं।
भारत में अधिकांश खनिज क्षेत्र प्रायद्वीपीय भारत में पाये जाते हैं।
यही कारण है कि झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा,
कर्नाटक, गुजरात तथा तमिलनाडु खनिज संसाधन की दृष्टि से देश
के महत्त्वपूर्ण राज्य हैं। उत्तर भारत के विशाल जलोढ़ मैदानी भू-भाग
आर्थिक दृष्टि से उपयोगी खनिजों से विहीन हैं।
भारत में खनिज संसाधनों का वितरण असमान और अनियमित है।
ऐसा इसलिये है क्योंकि खनिजों की उपस्थििति कुछ विशिष्ट
भू-वैज्ञानिक संरचनाओं से संबद्ध होती हैं।
भारत में अधिकांश कोयला गोंडवाना शैल समूह में मिलता है। इसी
प्रकार धारवाड़ एवं कुडप्पा तंत्र में भारत के प्रमुख धात्विक खनिज
जैसे-लोहा, तांबा, सीसा, जस्ता, मैंगनीज़ इत्यादि और प्रमुख
अधात्विक खनिज, जैसे-चूना पत्थर, डोलोमाइट, जिप्सम, कैल्शियम,
सल्फेट, इत्यादि कुडप्पा एवं ऊपरी विंध्यन तंत्र में मिलते हैं।
खनिज संसाधनों का वर्गीकरण
(Classification of Mineral Resources)
रासायनिक एवं भौतिक गुण धर्म के आधार पर खनिजों को दो
प्रमुख श्रेणियों- धात्विक एवं अधात्विक में वर्गीकृत किया जा सकता है।
धातुएँ कठोर पदार्थ हैं, जो उष्मा और विद्युत की सुचालक होती हैं, जबकि
अधिकांश अधातुएँ उष्मा एवं विद्युत की कुचालक होती हैं।
पुन: धात्विक खनिजों को भी लौह धात्विक खनिज और अलौह
धात्विक खनिज में वर्गीकृत किया जाता है।
* लौह धात्विक खनिजों में लौहांश पाया जाता है, जबकि अलौह
धात्विक खनिजों में लौहांश नहीं पाया जाता है।
* अधात्विक खनिज कार्बनिक व अकार्बनिक प्रकृति के होते हैं।
कार्बनिक प्रकार में खनिज ईंधन, जैसे- पेट्रोलियम, कोयला आदि
तथा अकार्बनिक प्रकार में अभ्रक, चूना-पत्थर तथा ग्रेफाइट आदि
शामिल हैं।

खनिज पेटियाँ (Mineral Belts)
भारत में अधिकांश खनिज संपदा का संकेंद्रण प्रायद्वीपीय पठारी
क्षेत्रों में है। इस पठारी भाग में खनिजों के वितरण हेतु खनिज संपदा की
कई पेटियों को चिह्नित किया गया है । ये पेटियाँ हैं-
उत्तर-पूर्वी पठारी क्षेत्र की पेटी
मध्यवर्ती पेटी
उत्तर-पश्चिमी पेटी या अरावली क्षेत्र की पेटी
दक्षिणी एवं दक्षिणी-पश्चिमी पेटी
उत्तर-पूर्वी पठारी क्षेत्र की पेटी
(North-Eastern Plateau Region Belt)
उत्तर-पूर्वी पठारी क्षेत्र की पेटी का विस्तार छोटानागपुर पठार के
झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा तक है।
खनिज संसाधनों के भंडार की दृष्टि से यह भारत का सर्वाधिक
संसाधन संपन्न क्षेत्र है। इसे 'भारतीय खनिज का हृदय स्थल'
(Mineral Heartland of India) भी कहते हैं।
यहाँ धारवाड़ एवं गोंडवाना दोनों प्रकार की संरचनाओं का विकास
होने के कारण लौह अयस्क, तांबा, अभ्रक, मैंगनीज एवं कोयला
आदि खनिज संसाधनों के सर्वाधिक भंडार हैं।
कुडप्पा संरचना का विकास होने के कारण यहाँ चूना पत्थर के भी
निक्षेप मिलते हैं।
छोटानागपुर पठार में लौह अयस्क एवं कोयला की उपलब्धता के
कारण ही यहाँ 'लौह इस्पात एवं भारी इंजीनियरिंग उद्योग' का
सर्वाधिक विकास हुआ
है।

छोटानागपुर के पठार को भारत के 'रूर प्रदेश' की संज्ञा दी जाती है।



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