Total Count

Subscribe Us

भू आकृतिय प्रदेश (GeoMorpgic Region)

 





भारतीय उपमहाद्वीप उच्चावच के दृष्टिकोण से विभिन्न स्थलाकृतियों का अनोखा सम्मिश्रण है। ये सभी उच्चावच भिन्न-भिन्न समयांतरालों पर हुए भूगर्भिक हलचलों व बाह्य कारकों का सम्मिलित परिणाम हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप की वर्तमान भू-वैज्ञानिक संरचना व इसके क्रियाशील भू-आकृतिक प्रक्रम मुख्यत: अंतर्जनित व बहिर्जनिक बलों तथा प्लेट के क्षैतिज संचरण की अंत:क्रिया के परिणामस्वरूप अस्तित्व में आए हैं। भू-वैज्ञानिक संरचना व शैल समूह की भिन्नता के आधार पर भारत को तीन भू-वैज्ञानिक खंडों में विभाजित किया जाता है,
भौतिक लक्षणों पर आधारित हैं- जो प्रायद्वीपीय खंड हिमालय और अन्य अतिरिक्त प्रायद्वीपीय पर्वतमालाएँ
* सिंधु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान किसी स्थान की भू-वैज्ञानिक संरचना, प्रक्रिया और विकास की अवस्था का परिणाम है। भारत में धरातलीय विभिन्नताएँ बहुत महत्त्वपूर्ण हैं जिसके आधार पर भारत को निम्नलिखित भौगोलिक आकृतियों में विभाजित किया जाता है-

उत्तरी तथा उत्तर-पूर्वी हिमालय
(Northern and Northeastern Himalayas)
यह उत्तर-पश्चिम में जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक लगभग 2,500 किलोमीटर की लंबाई में फैला हुआ है। इसकी रचना टर्शियरी काल के अल्पाइन भूसंचलन के कारण हुई है।

पूर्व की अपेक्षा पश्चिमी भाग अधिक चौड़ा है, जो पश्चिम में लगभग 400 किलोमीटर तथा पूर्व में लगभग 160 किलोमीटर तक चौड़ा है। इसका प्रमुख कारण पूर्व में अभिसारी सीमांत पर दबाव बल का
अधिक होना है।
पूर्व में दबाव बल के अधिक होने के कारण पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र अधिक ऊँचे हैं। यही कारण है कि 'माउंट एवरेस्ट' और 'कंचनजंगा' जैसी ऊँची पर्वत चोटियाँ पूर्वी हिमालय में ही विद्यमान हैं। इसके साथ ही, हिमालय की श्रेणियाँ भारत की ओर उत्तल तथा तिब्बत की ओर अवतल हो गई हैं।
* प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के अनुसार, हिमालय की उत्पत्ति यूरेशियन प्लेट और भारतीय प्लेट के आपस में टकराने तथा इन दोनों प्लेटों के बीच में स्थित 'टेथिस सागर' के अवसादों में वलन पड़ने के कारण हुई है।
उत्तर से दक्षिण की ओर फैले उत्तरी पर्वतीय प्रदेश को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-
* ट्रांस हिमालय;
* वृहद् हिमालय या आंतरिक हिमालय;
* लघु हिमालय या मध्य हिमालय;
शिवालिक या बाह्य हिमालय;
* उत्तर-पूर्वी हिमालय।
उत्तर-दक्षिण के अतिरिक्त हिमालय का नदी घाटियों की सीमाओं के आधार पर प्रादेशिक विभाजन किया जा सकता है। प्रादेशिक विभाजन की संकल्पना 'सिडनी बुर्रार्ड' ने दी थी।
* पंजाब हिमालय- सिंधु-सतलुज नदी के बीच, लंबाई-560 किमी. (कश्मीर हिमालय + हिमाचल हिमालय) - (काराकोरम, लद्दाख, पीरपंजाल, जास्कर व धौलाधर पर्वत श्रेणियाँ)।
* कुमाऊँ हिमालय- सतलुज-काली नदी के बीच, लंबाई-320 किमी. (भागीरथी व यमुना का उद्गम स्रोत, नंदा देवी चोटी इस
पर्वत शृंखला की सबसे ऊँची चोटी है) ।
* नेपाल हिमालय- काली-तीस्ता नदी के बीच, लंबाई-800 किमी. (माउंट एवरेस्ट, कंचनजंगा, धौलागिरी, मकालू पर्वत श्रेणियाँ)।
* असम हिमालय- तीस्ता-दिहांग-ब्रह्मपुत्र नदी के बीच , लंबाई- 750 किमी., (कुला-कांगड़ी, नामचा बारवा, नगापहाड़ी का क्षेत्र)


अन्य जानकारी