Total Count

Subscribe Us

अपवाह तंत्र (Drainage system)

 




अपवाह तंत्र
Drainage system

सामान्य परिचय (General Introduction)
जब नदियों के जल का बहाव कुछ निश्चत जलमार्गों (वाहिकाओं) के माध्यम से होता है तो उसे नदियों का 'अपवाह' कहते हैं तथा इन वाहिकाओं के जाल को 'अपवाह तंत्र' कहते हैं।

अपवाह तंत्र मुख्य नदी एवं उनकी सहायक नदियों का एक एकीकृत तंत्र होता है, जो सतह के जल को एकत्र कर उसे दिशा प्रदान करता है।

एक नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को 'अपवाह द्रोणी' कहते हैं।

एक नदी, विशिष्ट क्षेत्र से अपना जल बहाकर लाती है, जिसे जलग्रहण' क्षेत्र (Catehment Area) कहा जाता है।
बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को 'नदी द्रोणी' जबकि छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को 'जल-संभर' (Watershed) कहा जाता है। जल-संभर अथवा जल विभाजक एक अपवाह द्रोणी को दूसरे से अलग करने वाली सीमा है।

नदियों का अपवाह प्रतिरूप (Drainage Pattern of Rivers) नदी के उद्गम स्थान से लेकर उसके मुहाने (मुख) तक नदी व उसकी सहायक नदियों द्वारा की गई रचना को ' अपवाह प्रतिरूप' कहते हैं।

नदियों का अपवाह निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है-
भू-वैज्ञानिक समयावधि चट्टानों की प्रकृति एवं संरचना
स्थलाकृति
ढाल प्रवणता
जल की मात्रा
बहाव की अवधि
नदियों के अपवाह के विविध प्रतिरूप होते हैं। इनमें से कुछ प्रतिरूप
निम्नलिखित हैं-
द्रुमाकृतिक (वृक्षाकार) अपवाह प्रतिरूप
(Dendritic Drainage Pattern)
जब नदियों की जलधाराएँ उस स्थान के स्थलीय ढाल के अनुसार बहती हैं तो मुख्य नदी तथा उसकी सहायक नदियों के द्वारा वृक्ष की शाखाओं के रूप की तरह अपवाह प्रतिरूप का निर्माण होता है, जिसे द्रुमाकृतिक अपवाह प्रतिरूप' के नाम से जाना जाता है, उदाहरण- उत्तरी भारत के मैदान की नदियाँ एवं दक्षिण भारत की पूर्व की ओर बहाव वाली नदियाँ, जैसे- गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी आदि।

जालीनुमा अपवाह प्रतिरूप (Trellis Drainage Pattern) जब मुख्य नदियाँ एक-दूसरे के समानांतर बहती हों तथा सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हों तो ऐसे प्रतिरूप को 'जालीनुमा अपवाह प्रतिरूप' कहते हैं।

आयताकार अपवाह प्रतिरूप (Rectangulur Drainage Pattern) जब सहायक नदियाँ अपनी मुख्य नदी से समकोण पर मिलती हैं। तो इस प्रकार बने प्रतिरूप को 'आयताकार अपवाह प्रतिरूप' कहते हैं।
उदाहरण- विंध्य की पहाड़ियों एवं पलामू क्षेत्र की कुछ नदियाँ इस प्रकार का अपवाह प्रतिरूप बनाती हैं।
1.अरीय अपवाह प्रतिरूप (Radial Drainage Pattern) जब किसी केंद्रीय शिखर से जलधाराओं का प्रवाह सभी दिशाओं में होता है तो इस प्रकार बनी संरचना को ' अरीय प्रतिरूप' कहते हैं।
उदाहरण- अमरकंटक पहाड़ी से निकलने वाली नदियाँ, नर्मदा तथा सोन का प्रवाह विभिन्न दिशाओं में होता है।


अन्य जानकारी