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सौरमंडल से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी |Important information related to the solar system | Read Here


 📚● सौरमंडल में कुल कितने ग्रह हैं—
📚● सूर्य के चारों ओर घूमने वाले पिंड को क्या कहते हैं— ग्रह 
सभी विषयों के ज्ञान के लिए यहां क्लिक करें।
📚● किसी ग्रह के चारों ओर घूमने वाले पिंड को क्या कहते हैं— उपग्रह 
📚● ग्रहों की गति के नियम का पता किसने लगाया— केपलर 
📚● अंतरिक्ष में कुल कितने तारा मंडल हैं— 89 
📚● सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह कौन-सा है— बृहस्पति 
📚● सौरमंडल का जन्मदाता किसे कहा जाता है— सूर्य को 
📚● कौन-से ग्रह सूर्य के चारों ओर दक्षिणावर्त घूमते हैं— शुक्र व अरुण 
📚● ‘निक्स ओलंपिया कोलंपस पर्वत’ किस ग्रह पर है— मंगल 
📚● ब्रह्मांड में विस्फोटी तारा क्या कहलाता है— अभिनव तारा 
📚● सौरमंडल की खोज किसने की— कॉपरनिकस 
📚● प्राचीन भारतीय सूर्य को क्या मानते थे— ग्रह 
📚● सूर्य कौन-सी गैस का गोला है— हाइड्रोजन व हीलियम 
📚● सूर्य के मध्य भाग को क्या कहते हैं— प्रकाश मंडल 
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📚● किस देश र्में अरात्रि को सूर्य दिखाई देता है— नॉर्वे 
📚● सूर्य से ग्रह की दूरी को क्या कहा जाता है— उपसौर 
📚● सूर्य के धरातल का तापमान लगभग कितना है— 6000°C
📚● मध्य रात्रि का सूर्य किस क्षेत्र में दिखाई देता है— आर्कटिक क्षेत्र में 
📚● सूर्य के रासायनिक संगठन में हाइड्रोजन का % कितना है— 71%
📚● कौन-सा ग्रह सूर्य के सबसे निकट है— बुध 
📚● बुध ग्रह सूर्य का एक चक्कर लगाने में कितना समय लेता है— 88 दिन 
📚● सूर्य से सबसे दूर कौन-सा ग्रह है— वरुण 
📚● कौन-से ग्रह जिनके उपग्रह नहीं हैं— बुध व शुक्र 
📚● कौन-सा ग्रह सूर्य का चक्कर सबसे कम समय में लगाता है— बुध 
📚● किस ग्रह को पृथ्वी की बहन कहा जाता है— शुक्र 
📚● किस ग्रह पर जीव रहते हैं— पृथ्वी
📚● पृथ्वी का उपग्रह कौन है— चंद्रमा 
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📚● पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर कितने दिन में लगाती है— 365 दिन 5 घंटा 48 मिनटर 46 सेकेंड 
📚● पृथ्वी को नीला ग्रह क्यो कहा जाता है— जल की उपस्थिति के कारण 
📚● किस उपग्रह को जीवाश्म ग्रह कहा जाता है— चंद्रमा को 
📚● चंद्रमा क्या है— उपग्रह 
📚● पृथ्वी से चन्द्रमा का कितना भाग देख सकते हैं— 57% 
📚● उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन कौन-सा है— 21 जून 
📚● किस तिथि को रात-दिन बराबर होते हैं— 21 मार्च व 22 सितंबर 
📚● सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी कौन-सा है— ओलिपस मेसी 
📚● अरुण ग्रह की खोज कब हुई— 1781 ई. 
📚● पृथ्वी द्वारा सूर्य की एक परिक्रमा को क्या कहते हैं— सौर वर्ष 
📚● पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन का क्या कारण है— अक्ष पर झुकी होने के कारण 
📚● प्लूटो ग्रह की मान्यता कब समाप्त की गई— 24 अगस्त, 2006 को 
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📚● चंद्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा कितने समय में लगाता है— 27 दिन 8 घंटा 
📚● ज्वार भाटा की स्थिति में सबसे अधिक प्रभाव किसका होता है— चंद्रमा का
📚● ज्वार भाटा किसके कारण आता है— सूर्य व चंद्रमा के अपकेंद्र व आकर्षण बल के कारण 
📚● चंद्र ग्रहण कब होता है— पूर्णिमा को 
📚● सूर्य ग्रहण कब होता है— अमावस्या को 
📚● कौन-सा खगोलीय पिंड ‘रात की रानी’ कहा जाता है— चंद्रमा 
📚● नंगी आँखों द्वारा किस ग्रह को देख सकते हैं— शनि ग्रह 
📚● यूरेनस की खोज किसने की— हर्शेल ने
📚● सूर्य ग्रहण का क्या कारण है— चंद्रमा के सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाने के कारण सूर्य का दिखाई न देना 
📚● चंद ग्रहण कैसे होता है— जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है जिससे चंद्रमा दिखाई नहीं देता है
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📚● ‘सौंदर्य का देव’ किस ग्रह को कहा जाता है— शुक्र ग्रह को 
📚● पृथ्वी सूर्य से सबसे अधिक दूर कब होती है— 4 जुलाई को 
📚● पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट कब होती है— 3 जनवरी 
📚● पृथ्वी अपने अक्ष पर किस दिशा में घूमती है— पश्चिम से पूर्व की ओर 
📚● रात व दिन होने का क्या कारण है— पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना 
📚● भू-कक्ष तल पर भू-अक्ष का झुकाव कितना होता है— 66 1/2°
📚● सूर्य सौरमंडल का केंद्र है और पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है, यह पता सर्वप्रथम किसने लगाया— कॉपरनिकस 
📚● सर्वप्रथम पृथ्वी की त्रिज्या किस वैज्ञानिक ने मापी— इरैटोस्थनीज 
📚● पृथ्वी की तरह किस ग्रह पर जीवन की संभावना है— मंगल ग्रह 
📚● बृहस्पति ग्रह की खोज किस वैज्ञानिक ने की— गैलीलियो 
📚● कौन-सा ग्रह हरा प्रकाश उत्सर्जित करता है— वरूण 
📚● ‘सी ऑफ ट्रंक्विलिटी’ कहाँ स्थित है— चंद्रमा पर 
📚● चंद्रमा के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में कितलर समय लगता है— 2 सेकेंड से कम 
📚● किस आकाशीय पिंड को ‘पृथ्वी पुत्र’ कहा जाता है— चंद्रमा 
📚● हैली घूमकेतू का आवर्त काल कितना है— 76 वर्ष 
📚● मंगल और बृहस्पति ग्रहों के मध्य सूर्य की परिक्रमा करने वाले पिंडों को क्या कहते हैं— क्षुद्रग्रह


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भूगोल का अर्थ क्या होता है ? | What is meaning of geography?

  भूगोल का अर्थ (Meaning of geography) भूगोल का अर्थ - भूगोल दो शब्दों से मिलकर बना है- भू + गोल हिन्दी में ‘भू’ का अर्थ है पृथ्वी और ‘गोल’ का अर्थ गोलाकार स्वरूप। अंग्रेजी में इसे Geography कहते हैं जो दो यूनानी शब्दों Geo (पृथ्वीं) और graphy (वर्णन करना) से मिलकर बना है। भूगोल का शाब्दिक अर्थ ‘‘वह विषय जो पृथ्वी का संपूर्ण वर्णन करे वह भूगोल है’’ भूगोल का अर्थ समझने के पश्चात् इसकी परिभाषा पर विचार करना आवश्यक है। भूगोल की परिभाषा - रिटर के अनुसार :-   ‘‘भूगोल में पृथ्वी तल का अध्ययन किया जाता है जो कि मानव का निवास गृह है।’’ टॉलमी के अनुसार :-   ‘‘भूगोल वह आभामय विज्ञान है, जो कि पृथ्वी की झलक स्वर्ग में देखता हैं।’’ ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार :-   ‘‘भूगोल वह विज्ञान है , जो पृथ्वी के धरातल , उसके आकार , विभिन्न भौतिक आकृतियों , राजनैतिक खण्डों , जलवायु तथा जनसंख्या आदि का विशद् वर्णन करता है।’’ बुलरिज तथा र्इस्ट के अनुसार :-  ‘‘भूगोल में भूक्षेत्र तथा मानव का अध्ययन होता हैं’’ भूगोल का विषय क्षेत्र सम्पूर्ण पृथ्वी भूगोल का अध्ययन क्षेत्र है। जहाँ स्थलमण्डल, जलमण्डल , वायुमण्डल और

भारत की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार,Geographical location and extent of India

  भारत की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार (Geographical location and extent of India) भौगोलिक स्थिति भारत पूर्णतया उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। भारत की मुख्य भूमि 804’ से 3706’ एवं 680 7’ से 970 25’ पूर्वी देशांतर के बीच फैली हुर्इ हैं।इस प्रकार भारत का अंक्षांशीय तथा देशांतरीय विस्तार लगभग 290 अंशों में हैं। इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक 3214 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम तक 2933 किमी. और समुद्री तट रेखा अंडमान निकोबार द्वीप समूह तथा लक्ष्यद्वीप समूह के साथ 7517 कि.मी. हैं। कर्क रेखा भारत के लगभग मध्य भाग से गुजरती है। इसी प्रकार लगभग मध्य भाग से निकलने वाली 82030’ देशांतर रेखा का समय ही भारत का मानक समय निर्धारित किया गया र्है। यह रेखा उत्तर में मिर्जापुर एंव दक्षिण में चैन्नर्इ के निकट से गुजरती हैं। भारत का कुल छेत्रफल :- 3287263 भारत की कुल जनसंख्या :-  भारत की जनसंख्या 1,359,843,564 करोड़ है। जिसमें से पुरुषों की कुल जनसंख्या 51.3% महिलाओं की कुल जनसंख्या 48.4 % है भारत की चौहद्दी भारत के पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार देश स्थित हैं, जबकि पश्चिम में पाकिस्तान और अरब सागर है ! उत्तर

स्थलमंडल किसे कहते है ? | What is a lithosphere?

  स्थलमंडल (Lithosphere)      स्थलमण्डल सम्पूर्णपृथ्वी के क्षेत्रफल का 29% है। पृथ्वी के अन्दर तीन मण्डल पाए जाते हैं। ऊपरी मण्डल को भूपर्पटी अथवा क्रस्ट कहा जाता है। इसकी मोटाई 30 से 100 किमी तक होती है। महाद्वीपों में इसकी मोटाई अधिक जबकि महासागरों में या तो क्रस्ट होती ही नहीं अगर होती है तो बहुत पतली होती है। क्रस्ट का ऊपरी भाग स्थलमण्डल का प्रतिनिधित्व करता है। जिन पदार्थों से क्रस्ट का निर्माण होता है वे जैव समुदाय के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। क्रस्ट का निर्माण मुख्यतः लोहा, ऑक्सीजन, सिलिकॉन, मैग्नीशियम, निकिल, गंधक, कैल्शियम तथा ऐलुमिनियम से होता है। क्रस्ट में एल्युमिनियम तथा सिलिका की मात्रा अधिक होती है। क्रस्ट के नीचे के दूसरे मण्डल को मैण्टिल कहा जाता है जिसकी निचली सीमा 2900 किमी से पृथ्वी के केन्द्र तक है। चट्टान पृथ्वी की सतह का निर्माण करने वाले पदार्थ चट्टानें या षैल कहलाते हैं। बनावट की प्रक्रिया के आधार पर चट्टानों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है। आग्नेय चट्टान ये चट्टानें भी चट्टानों में सबसे ज्यादा (95%) मिलती है। इनका निर्माण ज्वालामुखी उद्गार के समय निकलने

ऊर्जा संसाधन (Energy Resources)

  सामान्य परिचय (General Introduction ) सूर्य पृथ्वी पर ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। सौर ऊर्जा ही प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पृथ्वी और उस पर रहने वाले जीवों को अपने कार्यों और क्रियाओं को संपादित करने में सहायता करती है। किसी भी देश में ऊर्जा संसाधनों का विकास उस देश के औद्योगिक विकास का सूचक होता है। अत: उच्च ऊर्जा उत्पादन और उसकी उचित खपत को सुनिश्चित कर देश में आर्थिक पिछड़ेपन, कुपोषण एवं अशिक्षा आदि समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। ऊर्जा संसाधन अर्थात् जिनका उपयोग ऊर्जा उत्पन्न करने के लिये किया जाता है, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि।  परंपरागत प्रयोग के आधार पर ऊर्जा संसाधनों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है- पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत गैर-पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत पारंपरिक ऊर्जा के स्रोत (Sources of Conventional Energy) ऊर्जा प्राप्ति के ऐसे स्रोत, जिसका उपयोग मानव पारंपरिक तौर पर आरंभ से ही करता चला आ रहा है, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, लकड़ी, चारकोल, सूखा गोबर, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि। ऐसे स्रोतों को पारंपरिक/परंपरागत ऊर्जा का स्रोत कहा जाता है। गैर-पारंपरि

वायुमंडल किसे कहते है और उसके प्रकार ?|What is atmosphere and its types?

  वायुमंडल (Atmosphere)      पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए वायु के विस्तृत फैलाव को पृथ्‍वी का वायुमंडल (Earth atmosphere) कहते हैं. वायुमंडल की ऊपरी परत के अध्ययन को वायुविज्ञान (Aerology) और निचली परत के अध्ययन को ऋतु विज्ञान (Meterology) कहते हैं. आयतन के अनुसार वायुमंडल में 30 मील के अंदर विभिन्न गैसों का मिश्रण होता है जो इस प्रकार हैं- नाइट्रोजन 78.07 फीसदी, ऑक्सिजन 20.93 फीसदी, कॉर्बन डाईऑक्साइड .03 फीसदी और आर्गन .93 फीसदी. वायुमंडल में पाई जाने वाली कुछ महत्वपूर्ण गैस 1. नाइट्रोजन:   इस गैस की प्रतिशत मात्रा सभी गैसों से अधिक हैं. नाइट्रोजन की उपस्थिति के कारण ही वायुदाब, पवनों की शक्ति और प्रकाश के परावर्तन का आभास होता है. इस गैस का कोई रंग, गंध या स्वाद नहीं होता. नाइट्रोजन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह वस्तुओं को तेजी से जलने से बचाती है. अगर वायुमंडल में नाइट्रोजन ना होती तो आग पर नियंत्रण रखना कठिन हो जाता. नाइट्रोजन से पेड़-पौधों में प्रोटीनों का निर्माण होता है, जो भोजन का मुख्य का अंग है. यह गैस वायुमंडल में 128 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैली हुई है. 2. ऑक्सिजन-:   यह अन्य

अपवाह तंत्र (Drainage system)

  अपवाह तंत्र Drainage system सामान्य परिचय (General Introduction) जब नदियों के जल का बहाव कुछ निश्चत जलमार्गों (वाहिकाओं) के माध्यम से होता है तो उसे नदियों का 'अपवाह' कहते हैं तथा इन वाहिकाओं के जाल को 'अपवाह तंत्र' कहते हैं। अपवाह तंत्र मुख्य नदी एवं उनकी सहायक नदियों का एक एकीकृत तंत्र होता है, जो सतह के जल को एकत्र कर उसे दिशा प्रदान करता है। एक नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को 'अपवाह द्रोणी' कहते हैं। एक नदी, विशिष्ट क्षेत्र से अपना जल बहाकर लाती है, जिसे जलग्रहण' क्षेत्र (Catehment Area) कहा जाता है। बड़ी नदियों के जलग्रहण क्षेत्र को 'नदी द्रोणी' जबकि छोटी नदियों व नालों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को 'जल-संभर' (Watershed) कहा जाता है। जल-संभर अथवा जल विभाजक एक अपवाह द्रोणी को दूसरे से अलग करने वाली सीमा है। नदियों का अपवाह प्रतिरूप (Drainage Pattern of Rivers) नदी के उद्गम स्थान से लेकर उसके मुहाने (मुख) तक नदी व उसकी सहायक नदियों द्वारा की गई रचना को ' अपवाह प्रतिरूप' कहते हैं। नदियों का अपवाह निम्नलिखित कारकों

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भारत की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार,Geographical location and extent of India

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भूगोल का अर्थ क्या होता है ? | What is meaning of geography?

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आपदा प्रबंधन (disaster Management)

 सामान्य परिचय (General Introduction) कम समय एवं बिना चेतावनी के घटित होने वाली अनापेक्षित प्राकृतिक या मानव जनित घटना या परिवर्तन जिससे संबंधित क्षेत्र के मनुष्य, पशु-पक्षी, प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक पर्यावरण दुष्प्रभावित हों, आपदा कहा जा सकता है। इन दुष्प्रभावों में मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों की मौत, पेड़ - पौधों का विनाश, मानव निर्मित वातावरण, जैसे- इमारतें , सड़कें, पुल आदि की क्षति कम या ज़्यादा मात्रा में हो सकती है। सामान्यतया आपदाएँ प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न होती हैं लेकिन मानव द्वारा प्रकृति में अवाछित हस्तक्षेप से अप्रत्यक्ष रूप से कुछ आपदाओं की तीव्रता एवं बारंबारता में वृद्धि देखी जा सकती है। कुछ आपदाएँ तो पूरी तरह मानव जनित होती हैं। प्राकृतिक आपदाओं को भी उनकी उत्पत्ति के प्रमुख कारकों के आधार पर निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जाता है- भौमिक आपदाएँ-भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन इत्यादि जलीय आपदाएँ-बाढ़, सुनामी इत्यादि मौसम संबंधी आपदाएँ-सूखा, चक्रवात, बादल का फटना, हिम झंझावत, तड़ित झंझा (Thunderstorm), शीत लहर, पाला, लू इत्यादि नोट: द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की तीसरी र

विश्व के सर्वाधिक खनिज उत्पादक देश कौन कौन से है ? |Which are World's Most Mineral Producing Countries ?

  विश्व के सर्वाधिक खनिज उत्पादक देश (World's Most Mineral Producing Countries) खनिज उत्पादक देश लोहा चीन , आस्ट्रेलिया , ब्राजील तांबा चिली , पेरू , चीन मैंगनीज चीन , द. अफ्रीका , आस्ट्रेलिया बॉक्साइट ऑस्ट्रेलिया , ब्राजील , चीन सोना चीन , ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका जस्ता (जिंक) चीन , आस्ट्रेलिया , पेरू हीरा रूस , बोत्सवाना , कांगो निकिल रूस , इंडोनेशिया , आस्ट्रेलिया चांदी मैक्सिको , पेरू , चीन सीसा (लेड) चीन , ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका अभ्रक (माइका) चीन , अमेरिका , द. कोरिया ग्रेफाइट चीन , भारत , ब्रजील क्रोमाइट द. अफ्रीका , कजाखस्तान , भारत टंगस्टन चीन , रूस , बोलिविया कोबाल्ट कांगो , चीन

स्थलमंडल किसे कहते है ? | What is a lithosphere?

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भारत की प्रमुख झीलें उनके प्रकार ओर संबंधित जानकारी | Major lakes of India|

  भारत की प्रमुख झीलें (Major lakes of India) झीलों का निर्माण झीलों का निर्माण अनेक कारणों से होता है. भारत में झीलों को हिमालयी, राजस्थान की तथा दक्षिण भारत की झीलों में वर्गीकृत किया जा सकता है. भू-गर्भिक क्रिया से बनीं झीलें : -  पहाड़ों से बर्फ, पत्थर आदि भूमि पर गिरने से धरातल पर विशाल गड्ढे बन जाते हैं. इनमें जल भरने से जो झीलें बनती हैं, उन्हें भू-गर्भिक क्रिया से बनीं झीलें कहते हैं. कश्मीर की वूलर और कुमायूँ की अनेक झीलें इसी प्रकार की हैं. ज्वालामुखी- क्रिया से निर्मित झीलें :-  ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न क्रेटर या काल्डेरा में जल भरने से झील बनती हैं. महाराष्ट्र में की लोनार झील इसी प्रकार से बनी है. हिमानी निर्मित झीलें :-  हिमनदों द्वारा निर्मित गर्तों में हिम के पिघले हुए जल से इस प्रकार की झीलों का निर्माण होता है. कुमायूँ हिमालय में नैनीताल आदि झीलें इसके प्रमुख उदाहरण हैं. कभी-कभी हिमनदी के पिघले जल से “हिमोढ़ झीलों” का निर्माण होता है. पीरपंजाल श्रेणी के उत्तरी-पूर्वी ढालों पर ऐसी ही झीलें पाई जाती हैं. पवन-क्रिया से बनीं झीलें : -  मरुस्थल में पवन क्रिया से अपवाहन